Ranthambore में दर्दनाक हादसा: बाघ ने रेंज अधिकारी को बनाया शिकार

🗓️ Published on: May 12, 2025 2:58 pm
Ranthambore

Ranthambore: राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व से रविवार को एक मर्मस्पर्शी और चिंताजनक घटना सामने आई, जिसमें वन विभाग के एक वरिष्ठ रेंज अधिकारी की बाघ के हमले में मौत हो गई। यह घटना उस समय हुई जब अधिकारी जंगल के एक हिस्से में गश्त पर थे और वहां मौजूद एक बाघ की गतिविधियों पर नजर रख रहे थे।

रिपोर्ट के अनुसार, मृतक अधिकारी अपनी टीम के साथ बाघ के मूवमेंट को ट्रैक कर रहे थे। जैसे ही वे एक बाघ के पास पहुंचे, उसने अचानक हमला कर दिया और अधिकारी को जंगल के भीतर खींच ले गया। टीम में शामिल अन्य वनकर्मियों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और बाघ के पीछे दौड़े, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। अधिकारी की मौके पर ही मौत हो गई।

घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और प्रशासनिक टीमें मौके पर पहुंचीं। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और बाघ की पहचान और व्यवहार का विश्लेषण शुरू किया गया। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, संबंधित बाघ ने पहले कभी ऐसी हिंसक प्रवृत्ति नहीं दिखाई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना अप्रत्याशित रही और संभवतः बाघ ने मानव को खतरे के रूप में देखा

इसे भी पढ़े : Wilderness Trail: भारत का पहला ‘वेस्ट टू वाइल्डलाइफ पार्क’ नोएडा में तैयार, होगा पिकनिक और सफारी का मज़ा

यह दुखद घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि वन्यजीवों के साथ काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारी कितने जोखिम भरे माहौल में काम करते हैं। उनकी सुरक्षा के लिए मजबूत प्रशिक्षण, संसाधन और तकनीकी सहायता बेहद जरूरी है।

वन विभाग ने मृतक अधिकारी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने अपने कर्तव्य के प्रति अद्वितीय समर्पण और साहस दिखाया। विभाग द्वारा एक विशेष शोकसभा आयोजित की जा रही है जिसमें उन्हें सम्मानपूर्वक विदाई दी जाएगी। उनके परिवार को हरसंभव सहायता देने की भी घोषणा की गई है।

रणथंभौर जैसी जैव विविधता से भरपूर जगहों पर इस प्रकार की घटनाएं न केवल वनकर्मियों के लिए खतरा हैं, बल्कि यह हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखना कितना आवश्यक है।

इसे भी पढ़े : Snow Leopard population India: हिम तेंदुओं का सबसे बड़ा सुरक्षित घर

निष्कर्ष

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में हुई यह दुखद घटना न केवल एक समर्पित वन अधिकारी की असमय मृत्यु की त्रासदी है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाती है कि वन्यजीव संरक्षण केवल एक पेशा नहीं, बल्कि बलिदान और साहस से भरा कर्तव्य है। प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने के प्रयासों में लगे ऐसे अधिकारी हर दिन अपनी जान जोखिम में डालते हैं। यह आवश्यक है कि हम उनके कार्यों को सराहें, उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दें और ऐसी घटनाओं से सीख लेकर भविष्य के लिए और अधिक सशक्त और सुरक्षित प्रणाली विकसित करें। अधिकारी की शहादत को एक प्रेरणा के रूप में लेते हुए हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि प्रकृति और मानव के बीच संतुलन बनाए रखना ही सच्चा संरक्षण है।

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment