Development of 77 Eco-Tourism Sites in ShimlaTourism Boards: हिमाचल की नई दिशा

🗓️ Published on: June 3, 2025 1:13 am
Development of 77 Eco-Tourism Sites in ShimlaTourism

हिमाचल प्रदेश में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने की नई पहल

हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में ईको-टूरिज्म को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई नीति लागू की है। इसके तहत Development of 77 eco-tourism sites in ShimlaTourism Boards के अंतर्गत विभिन्न वन वृत्तों में कुल 77 स्थलों का विकास किया जा रहा है। इस नीति से अगले पांच वर्षों में करीब 200 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य है।

इस नीति का मुख्य उद्देश्य प्रकृति की रक्षा करते हुए पर्यटकों को आकर्षित करना है। साथ ही, यह नीति स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी और राज्य की अर्थव्यवस्था को हरित और सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ाएगी। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में यह योजना हिमाचल को एक वैश्विक ईको-टूरिज्म डेस्टिनेशन बनाने की ओर अग्रसर है।

हिमाचल के प्राकृतिक सौंदर्य का सतत उपयोग

हिमाचल प्रदेश की बर्फीली पहाड़ियां, घने जंगल, साफ-सुथरी नदियां और जैव विविधता इसे हमेशा से ही प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षक बनाते रहे हैं। अब प्रदेश सरकार इन संसाधनों का सतत और जिम्मेदार उपयोग कर रही है, जिसके लिए वर्ष 2024 में एक नई ईको-टूरिज्म नीति बनाई गई है।

ईको-टूरिज्म का मतलब है पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए प्रकृति का आनंद लेना। हिमाचल की यह नीति इसी विचार पर आधारित है ताकि पर्यटन और पर्यावरण दोनों का संरक्षण एक साथ किया जा सके।

प्रदेशभर में 77 ईको-टूरिज्म साइट्स का विकास

राज्य के प्रमुख क्षेत्रों जैसे शिमला, कुल्लू, मंडी, बिलासपुर, रामपुर, सोलन, नाहन, हमीरपुर, नालागढ़, धर्मशाला, पालमपुर, चंबा, डलहौजी, नूरपुर और रिकांगपिओ में 77 ईको-टूरिज्म साइट्स का विकास किया जा रहा है। इनमें से शिमला के पॉटर हिल और शोघी, कुल्लू के सोलंग नाला और पार्वती घाटी के कसोल जैसे सात प्रमुख स्थलों पर पहले ही ईको-टूरिज्म ऑपरेटरों का चयन किया जा चुका है।

इन स्थानों पर पर्यटक ट्रैकिंग, बर्ड वॉचिंग, फॉरेस्ट कैंपिंग, नेचर वॉक, होमस्टे और ट्रेल ट्रैकिंग जैसी प्रकृति से जुड़ी गतिविधियों का आनंद ले सकेंगे।

स्थानीय लोगों की भागीदारी और रोजगार के अवसर

इस योजना का एक अहम पहलू है स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी। सभी वन वृत्तों में ईको-टूरिज्म समितियां बनाई गई हैं जो इन परियोजनाओं का संचालन करती हैं। स्थानीय युवाओं को नेचर गाइड और मल्टी-पर्पज वर्कर के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है। अब तक 70 से अधिक गाइड और 135 मल्टी-पर्पज वर्कर को हिमाचल प्रदेश ईको-टूरिज्म सोसाइटी ने प्रशिक्षण दिया है।

इससे न सिर्फ लोगों को रोजगार मिला है, बल्कि उनमें पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है।

डिजिटल सुविधाएं और ईको-टूरिज्म का आधुनिकीकरण

पर्यटकों की सुविधा के लिए सरकार ने ईको-टूरिज्म सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया है। अब 100 से अधिक फॉरेस्ट रेस्ट हाउस और कैंपिंग साइट्स की बुकिंग हिमाचल प्रदेश ईको-टूरिज्म सोसाइटी की वेबसाइट के माध्यम से की जा सकती है। इसके साथ ही एक ट्रैकिंग मैनेजमेंट सिस्टम भी शुरू किया गया है जिसमें 245 से अधिक ट्रैकिंग रूट्स को उनकी कठिनाई के आधार पर सूचीबद्ध किया गया है।

पर्यटकों की सुविधा के लिए एक मोबाइल ऐप भी तैयार किया जा रहा है, जिससे योजना को और प्रभावी रूप दिया जा सकेगा।

राष्ट्रीय नियमों के अनुरूप नीति निर्माण

नई नीति पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के दिशा-निर्देशों और वन संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम, 2023 के अनुसार तैयार की गई है। शिमला, पालमपुर, कुल्लू, सिराज और मंडी जैसे क्षेत्रों की कार्य योजनाओं में ईको-टूरिज्म को एक विशेष अध्याय के रूप में सम्मिलित किया गया है।

पर्यटन आंकड़ों में बढ़ोतरी

सरकार के इन प्रयासों के कारण वर्ष 2024 में हिमाचल प्रदेश में 181.24 लाख पर्यटक आए, जिनमें 82 हजार विदेशी पर्यटक शामिल थे। यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 13.24% अधिक रही। चूंकि पर्यटन राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 7.78% का योगदान करता है, इसलिए यह नीति राज्य की अर्थव्यवस्था को और मजबूत बनाएगी।

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हरित और आत्मनिर्भर हिमाचल की ओर कदम

वर्तमान सरकार ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में ईको-टूरिज्म का मजबूत आधार तैयार किया है। प्रकृति संरक्षण और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हुए यह साबित किया गया है कि पर्यटन और पर्यावरण साथ-साथ आगे बढ़ सकते हैं। Development of 77 eco-tourism sites in ShimlaTourism Boards एक ऐसा कदम है जो हिमाचल प्रदेश को हरित, स्वच्छ और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर ले जा रहा है।

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