PORBANDAR TO PAHALGAM PEACE MARCH: पोरबंदर, गुजरात: महात्मा गांधी की जन्मभूमि पोरबंदर गुजरात से एक प्रेरणादायक और अनूठी पहल की शुरुआत हुई है। जामनगर जिले के जामजोधपुर निवासी मुस्लिम युवक सद्दाम बापू कादरी ने PORBANDAR TO PAHALGAM PEACE MARCH की शुरुआत की है, जो देश में शांति, अहिंसा और एकता का संदेश फैलाने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
आतंकवाद के खिलाफ अहिंसक कदम
यह शांति मार्च पहलगाम में हुए आतंकी हमले की प्रतिक्रिया के रूप में शुरू किया गया है, जिसमें विभिन्न समुदायों के निर्दोष लोगों की जान गई थी। इस हमले से आहत होकर सद्दाम बापू कादरी ने यह पदयात्रा शुरू की, ताकि पूरे देश को यह संदेश दिया जा सके कि आतंक के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार अहिंसा और एकता है।
30 मई को पोरबंदर से शुरुआत
30 मई 2025 को यह मार्च पोरबंदर से प्रारंभ हुआ और 31 मई को उपलेटा शहर पहुंचा। वहां बस स्टैंड चौक से शुरू होकर विभिन्न चौकों तक पदयात्रा निकाली गई। नगरवासियों, सामाजिक संगठनों, राजनीतिक नेताओं, भीम आर्मी एकता मंच, और हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
शहर भर में हुआ उत्साहपूर्ण स्वागत
मार्च के दौरान बस स्टैंड चौक, बावला चौक, शहीद भगत सिंह चौक, गांधी चौक, जिक्रिया चौक और नागनाथ चौक जैसे प्रमुख स्थलों पर लोगों ने फूलों की माला और गुलदस्तों से सद्दाम बापू का सम्मान किया। डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए हिंदुस्तान जिंदाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगे, जिससे माहौल देशभक्ति से भर गया।
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आर्थिक योगदान और सहायता का संकल्प
इस PORBANDAR TO PAHALGAM PEACE MARCH का उद्देश्य सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि व्यावहारिक भी है। मार्च के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग हर शहर में अपनी सामर्थ्य के अनुसार आर्थिक योगदान देंगे। यह राशि आतंकवादी हमले में घायल या मारे गए लोगों के परिवारों की मदद के लिए उपयोग की जाएगी।
गांधीजी से प्रेरित कदम
सद्दाम बापू कादरी ने महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत को अपनाते हुए इस यात्रा को एक जनआंदोलन का रूप दिया है। उनका मानना है कि देश को आतंकवाद से मुक्त कराने के लिए सभी धर्मों और समुदायों को मिलकर काम करना होगा।
निष्कर्ष (Conclusion):
PORBANDAR TO PAHALGAM PEACE MARCH न केवल एक शांति यात्रा है, बल्कि यह भारत की विविधता में एकता, सद्भावना और अहिंसा की सशक्त मिसाल है। सद्दाम बापू कादरी द्वारा शुरू की गई यह पदयात्रा यह दिखाती है कि आतंकवाद और हिंसा का जवाब नफरत से नहीं, बल्कि प्रेम, सहयोग और एकता से दिया जाना चाहिए। गांधीजी के विचारों से प्रेरित यह पहल पूरे देश के लिए एक सकारात्मक संदेश है कि जब हम मिलकर चलेंगे, तभी सच्चे भारत का निर्माण संभव है।
यह मार्च हर भारतीय को यह सोचने पर मजबूर करता है कि असली देशभक्ति क्या है—विभाजन नहीं, बल्कि जोड़ने की ताकत।