Rajasthan Wildlife Census 2025: राजस्थान में चंद्रमा की रोशनी में होगी वन्यजीवों की गिनती: जानिए कब और कैसे होगी गणना

🗓️ Published on: May 10, 2025 4:50 pm
Rajasthan Wildlife Census 2025

Rajasthan Wildlife Census 2025: राजस्थान वन्यजीव गणना, वाटर होल पद्धति, बुद्ध पूर्णिमा 2025, चंद्रमा की रोशनी में गिनती, राजस्थान टाइगर रिजर्व

12 मई से शुरू होगी राजस्थान के वन्यजीवों की विशेष गिनती

राजस्थान के विभिन्न वन्य क्षेत्रों में रहने वाले वन्यजीवों की गणना 12 मई 2025 से शुरू होने जा रही है। यह विशेष सर्वेक्षण वन विभाग द्वारा बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है। गणना के दौरान वाटर होल पद्धति का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें वन्यजीवों को जल स्रोतों पर पानी पीते समय गिना जाएगा।

चांदनी रात में आसान होगी वन्यजीवों की पहचान

बुद्ध पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की उजली रोशनी के कारण जंगलों में वन्यजीवों को पहचानना सरल हो जाता है। इसी वजह से यह समय गणना के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। वन विभाग के अनुसार, वन्यजीव गणना का यह अभियान 12 मई सुबह 8 बजे से शुरू होकर 13 मई सुबह 8 बजे तक चलेगा।

गणना के लिए जंगलों में ट्रैप कैमरे भी लगाए जाएंगे, जिससे शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के जानवरों की सटीक संख्या पता चलेगी।

जयपुर मुख्यालय में भेजी जाएगी वन्यजीव गणना रिपोर्ट

गणना पूरी होने के बाद सारे आंकड़े संबंधित क्षेत्र के डीएफओ (वन संरक्षक) कार्यालय में जमा किए जाएंगे। इसके बाद ये रिपोर्ट्स जयपुर स्थित प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय में भेजी जाएंगी, जहां से राज्य स्तर की अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

लापता बाघों का भी चलेगा पता

यह गिनती खास तौर पर इसलिए भी अहम है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान के टाइगर रिजर्व से कई बाघों के लापता होने की खबरें आई हैं।

  • सरिस्का में बाघ ST-11 की 2018 में मौत हो गई थी।
  • बाघ ST-13 जनवरी 2021 से गायब है।
  • ST-05 मार्च 2018 के बाद से लापता है।
  • ST-2305 के भी पिछले साल से कोई सुराग नहीं मिला।

इस बार की गिनती से इन लापता वन्यजीवों की स्थिति का भी सच सामने आने की उम्मीद है।

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निष्कर्ष: राजस्थान की वन्यजीव गणना पर्यावरण संरक्षण में मील का पत्थर

Rajasthan Wildlife Census 2025: राजस्थान की यह 24 घंटे की विशेष गिनती न केवल वन्यजीवों की संख्या का सटीक आंकलन देगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक मजबूत कदम साबित होगी।

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