80 साल बाद दिल्ली में देखा गया दुर्लभ Indian Grey Wolf

📝 Last updated on: May 21, 2025 12:54 pm
Indian Grey Wolf

यमुना के किनारे दिखा मायावी शिकारी

दिल्लीवासियों के लिए एक बड़ा आश्चर्य तब सामने आया जब उत्तर दिल्ली के पल्ला क्षेत्र में Indian grey wolf के देखे जाने की खबर आई। यह दुर्लभ जानवर गुरुवार की सुबह यमुना नदी के किनारे अकेला घूमता हुआ नजर आया। यह घटना 80 वर्षों बाद पहली बार है जब दिल्ली में भेड़िया देखे जाने की संभावना जताई जा रही है।

एक आम सुबह, असामान्य दृश्य

हेमंत गर्ग, जो रोज़ सुबह टहलने जाते हैं, को उस दिन कुछ असामान्य नजर आया। उन्होंने एक अकेले घूमते जानवर को देखा, जिसकी चाल और रंग किसी आम कुत्ते से बिल्कुल अलग था। उन्होंने तुरंत उसकी कुछ तस्वीरें लीं, जो बाद में सोशल मीडिया और विशेषज्ञों के बीच चर्चा का विषय बन गईं।

क्या यह सच में था Indian grey wolf?

गर्ग द्वारा खींची गई तस्वीरों में जो जानवर दिखा, वह भूरे रंग का, लंबी टाँगों और पतली पूँछ वाला था—जो कि Indian grey wolf (Canis lupus pallipes) की विशेषताएं हैं। हालांकि विशेषज्ञों ने इसकी पुष्टि करने से पहले कुछ सवाल उठाए हैं। वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट वाई. वी. झाला ने कहा कि जानवर की पूँछ का आकार और रंग कुछ हद तक संदेह पैदा करते हैं। उनका मानना है कि यह पूरी तरह से भारतीय ग्रे वुल्फ हो सकता है या फिर आवारा कुत्तों के साथ संकर (Hybrid) भी हो सकता है।

भेड़ियों की वापसी या भ्रम?

भारत में Indian grey wolf आमतौर पर शुष्क और घास वाले इलाकों में पाया जाता है। यह अक्सर झाड़ियों, कंटीले जंगलों और कृषि भूमि के किनारों पर देखा जाता है। हालांकि यह मानव बस्तियों के पास भी रह सकता है, लेकिन शहरी इलाकों में इसकी मौजूदगी बेहद दुर्लभ है।

वन्यजीव वैज्ञानिकों का मानना है कि यह भेड़िया उत्तर प्रदेश या चंबल क्षेत्र से यमुना के रास्ते दिल्ली आया हो सकता है। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में आज भी इस प्रजाति की एक स्थिर आबादी मौजूद है।

इतिहास में भी रही है दिल्ली से इनकी कड़ी

इतिहासकारों की माने तो एक समय दिल्ली का रिज क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर हुआ करता था। 1900 के दशक के शुरुआती वर्षों तक यहाँ भेड़िए, तेंदुए, लकड़बग्घे और काले हिरण जैसे कई जानवर पाए जाते थे। लेकिन शहरीकरण के चलते ये सभी धीरे-धीरे विलुप्त होते चले गए।

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विशेषज्ञों की चेतावनी और सुझाव

प्रकृतिवादी सूर्य रामचंद्रन और संरक्षणवादी रघु चुंडावत ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह घटना शहरी और वन्य जीवन के ओवरलैप को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि अभी भी कुछ प्राकृतिक आवास बचे हुए हैं जिन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए।

वहीं, दिल्ली वन विभाग ने अब तक इस घटना की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन अधिकारियों ने बताया है कि वे तस्वीरों की जांच कर रहे हैं और स्थल का निरीक्षण करने की योजना बना रहे हैं।

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निष्कर्ष

दिल्ली में Indian grey wolf की संभावित वापसी न केवल रोमांचक है, बल्कि यह हमें हमारी जैव विविधता और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र की नाजुक स्थिति की भी याद दिलाती है। यदि यह वास्तव में भारतीय ग्रे वुल्फ था, तो यह न केवल एक दुर्लभ दृश्य है, बल्कि शहरी सीमा पर प्रकृति के जीवंत होने का प्रमाण भी है।

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