Ujjain Jungle Safari : उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थापित किया गया 55 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाला आर्टिफिशियल जंगल सफारी पर्यावरण संरक्षण और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सफारी क्षेत्र वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास की पुनःस्थापना और उनके संरक्षण के लिए समर्पित है।
क्षेत्र का विकास और वन्यजीवों का संरक्षण
इस क्षेत्र में पहले बंजर भूमि थी, जहाँ केवल घास उगती थी। 2007 में वन विभाग ने वृक्षारोपण की शुरुआत की और अब यह क्षेत्र घने जंगल में तब्दील हो चुका है। यहां बांस, शीशम, आंवला, सागौन और जामुन जैसे वृक्षों की भरमार है। यह सफारी क्षेत्र वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करता है और उनके प्राकृतिक व्यवहार को समझने का अवसर देता है।
Ujjain Jungle Safari की विशेषताएँ
- वन्यजीवों की सुरक्षा: यह सफारी क्षेत्र सिंह, बाघ, भालू और अन्य वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करता है।
- रेस्क्यू और रिकवरी सेंटर: बीमार और घायल जानवरों के लिए एक रेस्क्यू और रिकवरी सेंटर की स्थापना की गई है, जहाँ उन्हें उपचार और पुनर्वास की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
- एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम: इस सफारी में देशभर से वन्यजीवों को लाने के लिए एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम चलाया जा रहा है, जिससे जैव विविधता में वृद्धि हो रही है।
- पर्यटन और शिक्षा: यह सफारी पर्यटकों को वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास में उनके व्यवहार को देखने का अवसर प्रदान करती है, साथ ही यह पर्यावरणीय शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन रही है।
पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव
यह सफारी क्षेत्र न केवल वन्यजीवों के संरक्षण में सहायक है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार और आजीविका के अवसर भी प्रदान करता है। इसके माध्यम से पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाई जा रही है और लोग वन्यजीवों के महत्व को समझ रहे हैं।
भविष्य की दिशा
आने वाले वर्षों में इस सफारी क्षेत्र को और विस्तारित करने की योजना है, ताकि अधिक वन्यजीवों को यहाँ लाया जा सके और पर्यटकों को और बेहतर सुविधाएँ प्रदान की जा सकें। इसके साथ ही, यह क्षेत्र वन्यजीवों के प्राकृतिक व्यवहार और उनके संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण अध्ययन केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है।
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निष्कर्ष:
उज्जैन का यह आर्टिफिशियल जंगल सफारी पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीवों के संरक्षण और इको-टूरिज्म के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह न केवल वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करता है, बल्कि लोगों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने और समझने का अवसर भी देता है। इससे पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ेगी और वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।