World Leopard Day: मुकुंदरा में लेपर्ड्स की गूंज, टाइगर कम पर सफारी की बढ़ी उम्मीदें

🗓️ Published on: May 4, 2025 1:35 pm
World Leopard Day

World Leopard Day: राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में बसा मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व अब सिर्फ बाघों के लिए नहीं, बल्कि पैंथरों (लेपर्ड्स) के स्वर्ग के रूप में उभर रहा है। भले ही यहां टाइगर की संख्या फिलहाल महज तीन पर रुकी हुई है, लेकिन लेपर्ड्स का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान में इस रिजर्व में करीब 95 से 100 पैंथर देखे जा सकते हैं। ऐसे में वन्यजीव प्रेमी अब मांग कर रहे हैं कि मुकुंदरा को लेपर्ड सफारी के रूप में टूरिज्म के लिए खोला जाए।

World Leopard Day लेपर्ड सफारी से पर्यटन को मिलेगा नया आयाम

अगर मुकुंदरा को लेपर्ड सफारी के तौर पर विकसित किया जाता है तो टूरिस्ट्स को यहां शानदार लेपर्ड साइटिंग का अनुभव मिलेगा। साथ ही इससे रिजर्व के संरक्षण कार्यों को भी बल मिलेगा। विशेषज्ञों की मानें तो पाली के जवाई, राजसमंद के कुम्भलगढ़ और जयपुर के झालाना की तर्ज पर मुकुंदरा में भी लेपर्ड सफारी सफलतापूर्वक चलाई जा सकती है। वन्यजीव प्रेमी सुझाव दे रहे हैं कि कोटा के मुकुंदरा और चंबल घड़ियाल सेंचुरी एरिया में भी पैंथर सफारी शुरू की जानी चाहिए।

टाइगर और लेपर्ड में कोई संघर्ष नहीं

रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर और चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन एस.आर. जाट के अनुसार, यहां टाइगर और पैंथर के बीच किसी तरह का संघर्ष अब तक सामने नहीं आया है। टाइगर जहां अपने इलाके में शान से विचरण करता है, वहीं पैंथर उससे बचते हुए ऊंचे इलाकों में चले जाते हैं। टाइगर दिन में सक्रिय रहता है, जबकि पैंथर मुख्यत: रात में शिकार करता है। यही वजह है कि दोनों प्रजातियों के आमने-सामने आने की घटनाएं बेहद कम हैं।

सुरक्षा और प्रे-बेस ने बढ़ाई पैंथरों की संख्या

मुख्य वन संरक्षक (CCF) बताते हैं कि मुकुंदरा के दरा, रावठा, कोलीपुरा और जवाहर सागर जैसे इलाकों में पैंथरों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इसका मुख्य कारण रिजर्व में बेहतर सुरक्षा और पर्याप्त शिकार उपलब्ध होना है। पैंथर छोटे से लेकर मध्यम आकार के शिकार जैसे खरगोश, बंदर, जंगली सूअर, गिलहरी और पक्षियों को भी अपना निशाना बना लेता है, जिससे उसे भोजन की कोई कमी नहीं होती।

चंबल की कराइयों में सहज दिखते हैं पैंथर

वन्यजीव शोधकर्ता उर्वशी शर्मा के अनुसार, चंबल नदी के किनारे कराइयों में पैंथर आसानी से नजर आते हैं। गर्मियों में ये चट्टानों के बीच छिप जाते हैं, लेकिन सर्दियों में धूप सेंकते हुए बाहर दिखाई देते हैं। उन्होंने बताया कि कोटा से लेकर रावतभाटा तक चंबल के दोनों किनारों पर पैंथरों की अच्छी-खासी संख्या है। गरड़िया एरिया में तो पैंथरों के पूरे परिवार तक की साइटिंग हो चुकी है।

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चंबल सेंचुरी में भी 50 से ज्यादा पैंथर

वन्यजीव प्रेमी बनवारी यदुवंशी का कहना है कि मुकुंदरा के बाहरी क्षेत्र में स्थित चंबल घड़ियाल सेंचुरी में भी पैंथरों की संख्या 50 से अधिक है। बीते छह महीनों में इनकी साइटिंग लगातार हुई है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस क्षेत्र को पर्यटकों के लिए खोलकर जंगल सफारी शुरू की जानी चाहिए, ताकि टूरिज्म बढ़े और पैंथरों को बेहतर संरक्षण मिल सके। यदि नयागांव से सफारी की शुरुआत की जाए, तो गरड़िया तक टूरिस्टों को पैंथरों के अद्भुत नजारे मिलेंगे।

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निष्कर्ष

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व भले ही वर्तमान में बाघों की सीमित संख्या के कारण चर्चा में है, लेकिन यहां पैंथरों की बढ़ती आबादी इसे वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों के लिए नई पहचान दे रही है। लगातार हो रही लेपर्ड साइटिंग और सुरक्षित माहौल इस क्षेत्र को लेपर्ड सफारी के लिए आदर्श बना रहे हैं। यदि मुकुंदरा और चंबल एरिया को पर्यटन के लिए खोला जाता है, तो इससे न केवल स्थानीय इको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पैंथरों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। आने वाले समय में मुकुंदरा हिल्स राजस्थान के प्रमुख लेपर्ड सफारी डेस्टिनेशन के रूप में उभर सकता है।

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