Translocation of Cheetahs to Gandhi Sagar: भारत में चीतों के पुनर्वास और संरक्षण के प्रयासों को नया आयाम मिलने वाला है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के तहत गठित परियोजना चीता संचालन समिति ने कुनो राष्ट्रीय उद्यान (मध्य प्रदेश) से गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में चीतों के स्थानांतरण को औपचारिक रूप से मंजूरी दे दी है।
इस स्थानांतरण का उद्देश्य एक मेटा-जनसंख्या मॉडल स्थापित करना है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में फैली चीतों की आबादी को परस्पर जोड़ा जाएगा। इस मॉडल को प्रजातियों के दीर्घकालिक संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
पहले चरण में भेजे जाएंगे 4-5 चीते

शुरुआती योजना के अनुसार, पहले चरण में गांधी सागर के 64 वर्ग किलोमीटर के घेरे वाले क्षेत्र में 4 से 5 चीते छोड़े जाएंगे। आपसी संघर्ष की संभावना से बचने के लिए इस क्षेत्र को पहले ही तेंदुओं से मुक्त कर दिया गया है।
गांधी सागर कुनो से करीब 300 किलोमीटर दूर स्थित है और इस पहल के साथ भारत सरकार की महत्वाकांक्षी ‘प्रोजेक्ट चीता‘ अब मल्टी-साइट मॉडल की ओर बढ़ रही है।
प्रमुख तैयारियाँ और चुनौतियाँ
इस स्थानांतरण के सफल क्रियान्वयन के लिए कई तैयारियां की जा रही हैं:
शिकार आधार को मजबूत करना: गांधी सागर क्षेत्र में चिंकारा, चार सींग वाले मृग, नीलगाय और चीतल जैसे शाकाहारी जानवर पहले से ही मौजूद हैं। इसके अलावा चीतल को दूसरे जंगलों से लाकर छोड़ा जा रहा है।
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इन-सीटू प्रजनन: शाकाहारी प्रजातियों की संख्या बढ़ाने के लिए विशेष बाड़ों में प्रजनन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
कर्मचारियों का प्रशिक्षण: वन विभाग के कर्मचारियों और ‘चीता मित्रों’ (स्थानीय स्वयंसेवकों) को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए जलापूर्ति व्यवस्था को भी प्राथमिकता दी जा रही है।
कुछ चिंताएँ बनी हुई हैं
हालांकि परियोजना उत्साहजनक है, लेकिन इसके साथ कुछ महत्वपूर्ण चिंताएं भी जुड़ी हुई हैं:
- शिकार की पर्याप्तता: क्या गांधी सागर में चीतों के लिए पर्याप्त शिकार उपलब्ध होगा?
- गर्मी के दौरान तनाव: लंबे सफर और गर्मी में चीतों पर तनाव पड़ सकता है।
- SOPs का पालन: पिछली घटनाओं ने कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर सवाल उठाए हैं — जैसे कि एक केस में चालक द्वारा चीतों को पानी पिलाया गया।
इसलिए समिति ने मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) के सख्त पालन और प्रशिक्षण पर विशेष ज़ोर दिया है।
‘परियोजना चीता’ की अब तक की प्रगति
- शुरुआत: 2022 में
- विदेश से आयात: नामीबिया से 8 और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते
- मृत्यु दर: अब तक कुनो में 8 वयस्क और 5 शावकों की मृत्यु हो चुकी है
- वर्तमान संख्या: कुनो में कुल 26 चीते – जिनमें 17 जंगल में और 9 बड़े बाड़ों में हैं
- लक्ष्य: 60–70 चीतों की मेटा-पॉपुलेशन बनाना, जो मध्य प्रदेश और राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में फैली हो
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फैसले का अगला चरण
अभी यह तय होना बाकी है कि गांधी सागर भेजे जाने वाले चीते वे होंगे जो पहले से जंगल में रह रहे हैं, या वे जो बड़े बाड़ों में सीमित हैं। यह चयन आगामी दिनों में विशेषज्ञों की सिफारिशों के अनुसार किया जाएगा।
निष्कर्ष
चीतों के स्थानांतरण की यह नई पहल भारत में प्रजातियों के पुनर्वास और संरक्षण प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है। लेकिन इसके साथ जुड़ी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सूझबूझ भरा क्रियान्वयन ही इसकी सफलता की कुंजी होगी।