Royal Bengal tigers : वन्यजीव संरक्षण में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारत मानसून के बाद कंबोडिया को छह रॉयल बंगाल टाइगर (दो नर और चार मादा) भेजने की योजना बना रहा है।
यह पहल नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) द्वारा संयुक्त रूप से की जा रही है। दोनों संस्थान कंबोडिया सरकार की मदद कर रहे हैं ताकि देश के दक्षिण-पश्चिम में स्थित कार्डामोम नेशनल पार्क (CNP) को बाघों के पुनर्वास के लिए तैयार किया जा सके। उल्लेखनीय है कि कंबोडिया में 2007 से बाघ विलुप्त घोषित किए जा चुके हैं।
NTCA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,
“बाघ-शिकार घनत्व पर सकारात्मक रिपोर्ट मिलने के बाद हमें यह विश्वास हुआ है कि हमारे बाघ अब कंबोडिया की धरती पर भी दहाड़ सकेंगे।”
अमेरिका स्थित ग्लोबल कंजर्वेशन ऑर्गेनाइजेशन (WWF) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कार्डामोम पार्क में वर्तमान शिकार घनत्व कम से कम चार बाघों के जीवनयापन के लिए उपयुक्त है। भारत पिछले चार वर्षों से इस पुनर्वास परियोजना के लिए कंबोडिया की सहायता कर रहा है। दोनों देशों के बीच 2023 में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर भी हो चुके हैं।
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NTCA अधिकारी ने आगे बताया,
“चार वर्षों की तैयारी के बाद अब कंबोडिया की टीम अंतिम कार्ययोजना तैयार कर रही है, जिसे हमारी टीम मानसून से पहले मूल्यांकन करेगी, ताकि बाघों के स्थानांतरण की तैयारी पूरी की जा सके।”
इस योजना में भारत द्वारा की जाने वाली नियमित सहायता भी निर्धारित की जाएगी, जिसमें भारतीय विशेषज्ञों की यात्रा, शिकार विरोधी रणनीतियाँ, और स्थानीय समुदायों को शामिल करना शामिल है। कंबोडिया सरकार और एक स्थानीय NGO मिलकर सदर्न कार्डामोम नेशनल पार्क में बाघों की वापसी की तैयारी वर्षों से कर रहे हैं।
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रिपोर्ट में बताया गया कि अध्ययन क्षेत्र में कुल 1,170 जंगली शाकाहारी प्राणी (ungulates) की पहचान की गई है, जिनमें सबसे अधिक जंगली सूअर, इसके बाद भारतीय मुंटजैक, माउस डियर, और मेनलैंड सेरो पाए गए हैं — जो बाघों के लिए प्रमुख शिकार हैं।
निष्कर्ष:
भारत का रॉयल बंगाल टाइगर्स को कंबोडिया भेजने का कदम बहुत महत्वपूर्ण है। इससे न केवल भारत और कंबोडिया के बीच वन्यजीव संरक्षण का सहयोग बढ़ेगा, बल्कि बाघों की प्रजाति के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। कंबोडिया का कार्डामोम नेशनल पार्क बाघों के लिए एक सुरक्षित जगह साबित हो सकता है, और वहां की सरकार भी बाघों के लिए सभी तैयारियाँ कर रही है। इस योजना से स्थानीय समुदायों और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में बड़ा बदलाव आ सकता है। यह कदम दुनिया भर में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक अच्छा उदाहरण बनेगा।