Ranthambore Safari News राजस्थान के प्रसिद्ध रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में फिर से खुशखबरी आई है। यहां की जानी-मानी बाघिन टी-111 शक्ति हाल ही में अपने दो नन्हें शावकों के साथ देखी गई है। इससे न सिर्फ जंगल में बाघों की संख्या बढ़ी है, बल्कि वन्यजीव प्रेमियों के बीच भी खुशी की लहर दौड़ गई है।
Ranthambore Safari News जोन 4 और कुंडेरा रेंज में दिखा नया परिवार
वन विभाग के अनुसार, रणथंभौर के जोन 4 और कुंडेरा रेंज में बाघिन शक्ति को शावकों के साथ विचरण करते हुए कैमरे में कैद किया गया। यह खबर आते ही वन विभाग की टीम ने इलाके का निरीक्षण शुरू किया। विशेषज्ञों का मानना है कि जंगल में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है और अब रणथंभौर में बाघों की संख्या 75 के करीब पहुंच चुकी है।
जामिनदेह के पास हुई दुर्लभ झलक
बताया जा रहा है कि सुबह के समय जामिनदेह इलाके में शक्ति अपने दोनों शावकों के साथ देखी गई। इस दुर्लभ दृश्य को फॉरेस्ट कैमरों ने भी रिकॉर्ड किया। हालांकि घनी झाड़ियों की वजह से टीम को बाघिन को स्पष्ट रूप से देखना मुश्किल हुआ, लेकिन उनकी आवाजें लगातार सुनाई देती रहीं। जानकारों का अनुमान है कि शक्ति ने और भी शावकों को जन्म दिया हो सकता है।
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दूसरी बार मां बनी है बाघिन शक्ति
वन विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी कि करीब 7 साल की उम्र की शक्ति बाघिन दूसरी बार मां बनी है। इससे पहले वह तीन शावकों को जन्म दे चुकी है। खास बात यह है कि शक्ति, रणथंभौर की प्रसिद्ध बाघिन टी-19 कृष्णा की संतान है, जो पार्क में बाघ संरक्षण की मजबूत कड़ी मानी जाती है।
बीते एक माह से सक्रिय थी शक्ति
पिछले एक महीने से शक्ति का मूवमेंट आदिदगर और जामिनदेह के आसपास देखा जा रहा था। इस दौरान वह चीतल और सांभर जैसे शिकार करती दिखी, जिससे वन अधिकारियों को उसके मां बनने की आशंका पहले ही हो गई थी। अब यह पुष्टि हो गई है कि रणथंभौर की धरती पर फिर से नन्हें बाघों की किलकारियां गूंज रही हैं।
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निष्कर्ष
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में बाघिन शक्ति के दो नन्हें शावकों के साथ नजर आना वन्यजीव संरक्षण के लिहाज से बेहद सुखद खबर है। इससे न सिर्फ बाघों की आबादी में इज़ाफा हुआ है, बल्कि यह दर्शाता है कि रणथंभौर की प्राकृतिक परिस्थितियां बाघों के लिए अनुकूल बनी हुई हैं। यह घटना वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों के लिए भी उत्साह बढ़ाने वाली है। आने वाले समय में रणथंभौर में बाघ संरक्षण की यह सफलता देश-दुनिया में इसकी पहचान को और मजबूत करेगी। साथ ही, इससे राजस्थान के पर्यटन क्षेत्र को भी नया संजीवनी मिलेगा।