Rajkot Pradyumna Park: राजकोट का प्रसिद्ध प्रद्युम्न पार्क चिड़ियाघर अब रॉयल बंगाल टाइगर की गूंज से जीवंत हो उठा है। जहां गिर और सौराष्ट्र के जंगल एशियाई शेरों के लिए विख्यात हैं, वहीं अब शेरों के इस प्रदेश में रॉयल बंगाल टाइगर की दहाड़ सुनाई देने लगी है। यह चिड़ियाघर अब बाघ प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है।
Rajkot Pradyumna Park 17 बाघ शावकों का जन्म

राजकोट के प्रद्युम्न पार्क चिड़ियाघर में अब तक कुल 17 बाघ शावकों का जन्म हो चुका है। नगर निगम द्वारा संचालित इस चिड़ियाघर में शेर, तेंदुआ, बंदर और 50 से अधिक अन्य प्रजातियों के पशु-पक्षी निवास करते हैं। लेकिन इन सब में सबसे बड़ा आकर्षण रॉयल बंगाल और सफेद बाघ हैं। यहां जन्मी सफेद बाघिनों और बाघों की संख्या में बीते दशक में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 में लाई गई सफेद बाघिन ने हाल ही में दो और शावकों को जन्म दिया है।
गायत्री और दिवाकर ने बढ़ाई बाघों की संख्या

राजकोट चिड़ियाघर की सफेद बाघिन गायत्री ने मार्च में दो नर बाघ शावकों को जन्म देकर चिड़ियाघर के गौरव में इजाफा किया है। इससे पहले, दिवाकर बाघ और यशोधरा बाघिन के मिलन से वर्ष 2015 में पहली मादा बाघ शावक का जन्म हुआ था। यहां का प्राकृतिक वातावरण, शुद्ध हवा-पानी और शांति का माहौल बाघों के प्रजनन के लिए बेहद अनुकूल सिद्ध हुआ है। यही कारण है कि यहां बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
साल दर साल बढ़ती आबादी

साल 2015 में दिवाकर और गायत्री के संयोग से चार मादा बाघ शावकों ने जन्म लिया। 2019 में गायत्री ने दो नर और दो मादा शावकों को जन्म दिया। वर्ष 2022 में भी गायत्री ने दो नर शावकों को जन्म दिया, जबकि उसी वर्ष बाघिन कावेरी ने भी दो नर शावक जन्मे। हाल ही में, मार्च में गायत्री ने फिर दो नर शावकों को जन्म दिया। इस प्रकार राजकोट चिड़ियाघर अब तक सफेद बाघों के 17 शावकों का घर बन चुका है।
सफेद बाघों के लिए अनुकूल वातावरण

आज राजकोट का प्रद्युम्न पार्क चिड़ियाघर सफेद बाघ प्रजाति के संरक्षण और प्रजनन के लिए भारत के सबसे अनुकूल स्थलों में गिना जाता है। यहां 500 से अधिक प्रजातियों के पशु-पक्षी हैं और सालभर बड़ी संख्या में पर्यटक इसे देखने आते हैं। छुट्टियों में यह संख्या और भी बढ़ जाती है, खासतौर पर बच्चों के लिए बाघ और शेर सबसे बड़ा आकर्षण बने हुए हैं।
देशभर के चिड़ियाघरों में भेजे गए बाघ
राजकोट में जन्मे सफेद बाघों को समय-समय पर देश के अन्य प्रमुख चिड़ियाघरों में भेजा गया है, जिनमें जूनागढ़, अहमदाबाद कांकरिया, पुणे राजीव गांधी, गांधीनगर और सूरत चिड़ियाघर शामिल हैं। इससे राजकोट चिड़ियाघर न केवल प्रजनन केंद्र के रूप में स्थापित हुआ है, बल्कि सफेद बाघों का दूसरा घर भी बन गया है।
राजकोट प्रद्युम्न पार्क चिड़ियाघर कैसे पहुंचे?
राजकोट का प्रद्युम्न पार्क चिड़ियाघर, शहर के केंद्र से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां तक पहुंचना आसान और सुविधाजनक है।
- हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी हवाई अड्डा राजकोट एयरपोर्ट है, जो चिड़ियाघर से लगभग 7 किलोमीटर दूर है। अहमदाबाद, मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों से राजकोट के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।
- रेल मार्ग: राजकोट रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से चिड़ियाघर की दूरी करीब 6 किलोमीटर है, जिसे आप टैक्सी, ऑटो या बस के जरिए आसानी से तय कर सकते हैं।
- सड़क मार्ग: राजकोट राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हुआ है। गुजरात के अन्य शहरों जैसे अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा और भावनगर से राजकोट तक नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। निजी वाहन से भी आप राजकोट आसानी से पहुंच सकते हैं।
- स्थानीय परिवहन: शहर के भीतर ऑटो-रिक्शा, कैब और लोकल बसें आसानी से मिल जाती हैं, जो आपको प्रद्युम्न पार्क चिड़ियाघर तक पहुंचा सकती हैं।
घूमने का सबसे अच्छा समय
राजकोट का प्रद्युम्न पार्क चिड़ियाघर घूमने के लिए सालभर खुला रहता है, लेकिन यहां आने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का है। इस दौरान मौसम सुहावना और ठंडा रहता है, जिससे आप चिड़ियाघर में आराम से घूम सकते हैं और सभी पशु-पक्षियों को सक्रिय अवस्था में देख सकते हैं।
- सर्दियों (अक्टूबर से मार्च): यह समय पर्यटन के लिए सबसे उपयुक्त है। तापमान सामान्य रहता है और सफेद बाघों व अन्य जानवरों को देखने का अनुभव और भी शानदार होता है।
- गर्मी (अप्रैल से जून): गर्मियों में तापमान अधिक होता है, जिससे दोपहर में घूमना थोड़ा कठिन हो सकता है। यदि आप इस समय आएं तो सुबह के समय घूमना बेहतर रहेगा।
- मानसून (जुलाई से सितंबर): बारिश के मौसम में हरियाली बढ़ जाती है और चिड़ियाघर का प्राकृतिक सौंदर्य निखर उठता है, लेकिन भारी बारिश के दिनों में भ्रमण में थोड़ी असुविधा हो सकती है।
यदि आप परिवार के साथ या बच्चों के लिए खास यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो सर्दियों की छुट्टियां और वीकेंड पर आना सबसे बढ़िया विकल्प रहेगा।
प्रवेश शुल्क और खुलने का समय
राजकोट का प्रद्युम्न पार्क चिड़ियाघर पर्यटकों के लिए पूरे सप्ताह खुला रहता है। यहां का प्रवेश शुल्क बेहद सामान्य है, ताकि हर वर्ग के लोग इस सुंदर चिड़ियाघर का आनंद ले सकें।
खुलने का समय:
- प्रत्येक दिन: सुबह 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
- मंगलवार को बंद रहता है (साप्ताहिक अवकाश)
प्रवेश शुल्क:
- बड़ों के लिए: ₹30 प्रति व्यक्ति
- बच्चों के लिए (5 से 12 वर्ष तक): ₹10 प्रति बच्चा
- 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रवेश निशुल्क है।
- कैमरा शुल्क: सामान्य कैमरा के लिए ₹50 और वीडियो कैमरा के लिए ₹200 (यदि आप फोटोग्राफी करना चाहते हैं)
ऑनलाइन टिकट:
कई बार ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा भी उपलब्ध रहती है, जिससे आप लंबी कतार से बच सकते हैं।
टिप: छुट्टियों और वीकेंड के दिन यहां भीड़ अधिक रहती है, इसलिए यदि आप शांति से बाघों और अन्य जानवरों का अवलोकन करना चाहते हैं, तो सप्ताह के किसी सामान्य दिन आना बेहतर रहेगा।
निष्कर्ष
राजकोट का प्रद्युम्न पार्क चिड़ियाघर आज न केवल गुजरात बल्कि पूरे भारत में सफेद बाघों और रॉयल बंगाल टाइगर के संरक्षण और प्रजनन का महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। यहां का शांत वातावरण, प्राकृतिक संसाधन और देखभाल की उत्तम व्यवस्था बाघों की संख्या में निरंतर वृद्धि का कारण बनी है। 17 बाघ शावकों का सफलतापूर्वक जन्म इस चिड़ियाघर की बड़ी उपलब्धि है। यही कारण है कि आज यह स्थान पर्यटकों, वन्यजीव प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। राजकोट चिड़ियाघर अब गर्व से कहा जा सकता है कि यह सफेद बाघों का दूसरा घर और गुजरात का नया टाइगर जोन बन गया है।