Rajasthan Wildlife Conservation: भारत ने रचा इतिहास AI से जन्मा पहला गोडावण का बच्चा

🗓️ Published on: April 16, 2025 11:15 pm
Rajasthan Wildlife Conservation

जैसलमेर बना पक्षी संरक्षण की मिसाल

Rajasthan Wildlife Conservation: भारत ने वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। राजस्थान के जैसलमेर स्थित Rajasthan Wildlife Conservation सुदासरी गोडावण प्रजनन केंद्र में वैज्ञानिकों ने पहली बार कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) की मदद से गोडावण के बच्चों को जन्म दिलवाया है। यह उपलब्धि भारत को विश्व का पहला ऐसा देश बनाती है, जिसने इस तकनीक के जरिए ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) का सफल प्रजनन किया है।

गोडावण की प्रजाति पर संकट के बादल

गोडावण,जिसे राजस्थान का राज्य पक्षी घोषित किया गया है, आज विलुप्त होने की कगार पर है। इनकी घटती संख्या को देखते हुए संरक्षण के प्रयास लगातार तेज़ किए जा रहे हैं। सुदासरी ब्रीडिंग सेंटर से मिली इस नई सफलता ने उम्मीद की एक नई किरण दिखाई है।

AI तकनीक से दूसरी बार जन्मा चूजा

16 मार्च को मादा गोडावण “टोनी” द्वारा दिए गए अंडे से इस सीजन का 8वां चूजा निकला। यह दूसरी बार है जब कृत्रिम गर्भाधान तकनीक से सफलता मिली है। अब तक गोडावण प्रजनन केंद्र में कुल संख्या बढ़कर 52 हो गई है। यह संरक्षण परियोजना की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

यह भी पढ़े: Delhi Picnic Spots: दिल्ली को मिलेगा नया पिकनिक स्पॉट 900 एकड़ में बनेगा ‘मयूर प्रकृति पार्क’

Rajasthan Wildlife Conservation अबू धाबी से मिली प्रेरणा

इस अनोखी तकनीक का विचार अबू धाबी स्थित इंटरनेशनल फंड फॉर हुबारा कंजर्वेशन फाउंडेशन (IFHC) से लिया गया। वहां इस तकनीक का उपयोग हुबारा पक्षियों पर किया गया था। भारत के वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के वैज्ञानिकों ने वहां जाकर तकनीक सीखी और इसे गोडावण पर लागू किया।

यह भी पढ़े: उड़ते पक्षी का पेट चीर कर बाहर निकली ईल मछली! वायरल फोटो ने सबको किया हैरान

8 महीने की मेहनत के बाद मिली सफलता

इस प्रोजेक्ट की सफलता के पीछे वर्षों की कड़ी मेहनत है। रामदेवरा ब्रीडिंग सेंटर में नर गोडावण “सुदा” को कृत्रिम मैथुन के लिए 8 महीने तक प्रशिक्षित किया गया। 20 सितंबर 2024 को उसके स्पर्म से मादा टोनी का कृत्रिम गर्भाधान कराया गया था। इससे पहले भी इसी पद्धति से एक गोडावण का जन्म हो चुका है। अब दूसरी सफलता से वैज्ञानिकों और वन विभाग में उत्साह की लहर है।

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment