महाराष्ट्र के रत्नागिरी पहुंचा Olive Ridley turtle Odisha: 3500 किमी की यात्रा और जीवन का चक्र

🗓️ Published on: April 25, 2025 12:01 am
Olive Ridley turtle Odisha

Olive Ridley turtle Odisha: महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के गुहागर समुद्र तट पर हाल ही में एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला, जब एक ऑलिव रिडले समुद्री कछुआ ने यहां आकर 120 अंडे दिए। यह कछुआ कोई साधारण जीव नहीं था, बल्कि इसने करीब 3500 किलोमीटर की समुद्री यात्रा पूरी करके यह मुकाम हासिल किया।

ओडिशा से श्रीलंका होते हुए महाराष्ट्र तक का सफर

यह ऑलिव रिडले कछुआ ओडिशा के गार्मेथ मरीन तट से समुद्र के रास्ते श्रीलंका होकर महाराष्ट्र के तट तक पहुंचा। यह यात्रा समुद्री जीवन की अद्वितीय प्रव्रजन प्रणाली और प्रकृति की शक्ति को दर्शाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें मादा कछुए अंडे देने के लिए लंबे सफर तय करते हैं।

Olive Ridley turtle Odisha मेटल टैग से हुई पहचान

इस कछुए की पहचान मेटल टैगिंग के माध्यम से हुई, जिसे सबसे पहले 2021 में ‘कछुआ मित्र’ नामक संरक्षण समूह ने टैग किया था। यह संगठन मैनग्रो फाउंडेशन के अंतर्गत कार्य करता है और समुद्री जीवों के संरक्षण के लिए सक्रिय है। टैगिंग की सहायता से यह जान पाना संभव हो सका कि कछुआ कितनी दूर की यात्रा करके वापस भारत पहुंचा है।

120 अंडों से भरा जीवन का नया अध्याय

गुहागर तट पर इस कछुए द्वारा दिए गए 120 अंडे न केवल जीवन के एक नए चक्र की शुरुआत हैं, बल्कि यह घटना समुद्री जैव विविधता के लिए भी एक शुभ संकेत मानी जा रही है। यह संकेत करता है कि भारत के पश्चिमी तट भी अब ऑलिव रिडले कछुओं की प्रजनन स्थलों की सूची में शामिल हो सकते हैं।

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समुद्री संरक्षण की दिशा में प्रेरणा

नेट कनेक्ट फाउंडेशन के डायरेक्टर कुमार जी के अनुसार, मेटल टैगिंग का उद्देश्य केवल पहचान तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे कछुओं के माइग्रेशन पैटर्न और उनके व्यवहार का भी अध्ययन किया जा सकता है। यह घटना आम जनता और पर्यावरण प्रेमियों को समुद्री जीवों के संरक्षण की दिशा में प्रेरित करती है।

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निष्कर्ष

ऑलिव रिडले कछुए की यह 3500 किलोमीटर लंबी यात्रा, न सिर्फ समुद्री जीवन की अद्भुत यात्रा को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि संरक्षण और जागरूकता के प्रयास किस प्रकार प्रकृति को सहेजने में मददगार हो सकते हैं। गुहागर तट पर अंडे देने वाली यह मादा कछुआ आने वाली पीढ़ियों के लिए उम्मीद की किरण है।

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