Noida Animal Rehabilitation Center: उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में स्थित नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास अब वन्यजीव संरक्षण को एक नई दिशा मिलने जा रही है। 3.41 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक पशु पुनर्वास केंद्र की स्थापना की जाएगी, जिसकी मंजूरी जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने दे दी है। यह केंद्र खासतौर पर काले हिरण और सारस जैसे संरक्षित वन्यजीवों की सुरक्षा और पुनर्वास के उद्देश्य से बनाया जाएगा।
Noida Animal Rehabilitation Center तैयार होगा पुनर्वास केंद्र

यह पुनर्वास केंद्र देश के सबसे बड़े नोएडा एयरपोर्ट के पास स्थापित किया जाएगा, जिससे हवाईअड्डे के निर्माण और संचालन से प्रभावित होने वाले जीव-जंतुओं को एक सुरक्षित स्थान मिल सकेगा। परियोजना की कुल लागत 3.41 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है और इसमें पशुओं की देखरेख के लिए मेडिकल सुविधाएं, अनुभवी डॉक्टरों की टीम और सुरक्षित आवासीय परिसर बनाए जाएंगे।
प्राधिकरण ने शुरू की टेंडर प्रक्रिया

इस परियोजना को गति देने के लिए प्राधिकरण द्वारा टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। निर्माण कार्य की ज़िम्मेदारी हॉर्टिकल्चर विभाग को सौंपी गई है। विभाग के निदेशक आनंद मोहन के अनुसार, टेंडर प्रक्रिया 15 से 21 अप्रैल तक चलेगी, और 23 अप्रैल को तकनीकी निविदाएं खोली जाएंगी।
तकनीकी और वित्तीय बोलियों का होगा चयन

टेंडर प्रक्रिया में पहले तकनीकी बोलियों की जांच की जाएगी। जो कंपनियां तकनीकी रूप से योग्य होंगी, उन्हें ही वित्तीय बोली प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। योजना है कि मई माह से पुनर्वास केंद्र का निर्माण कार्य आरंभ कर दिया जाएगा।
10 किलोमीटर क्षेत्र के वन्यजीवों का होगा संरक्षण

वन्यजीव संस्थान, देहरादून द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, नोएडा एयरपोर्ट के 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले वन्यजीवों को इस केंद्र में पुनर्वासित किया जाएगा। इसका उद्देश्य मानव गतिविधियों से प्रभावित हो रहे वन्यजीवों को एक संरक्षित वातावरण प्रदान करना है।
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काले हिरण और सारस के लिए विशेष प्रबंध

रिपोर्टों के अनुसार, इस क्षेत्र में करीब 258 काले हिरण और 176 सारस मौजूद हैं। एयरपोर्ट निर्माण से इनके आवास पर प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए इन प्रजातियों के संरक्षण के लिए विशेष प्रबंध किए जाएंगे। यह कदम पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
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लागत में कटौती के साथ तेज़ी से होगा निर्माण

पहले इस परियोजना की जिम्मेदारी वन विभाग को दी गई थी, लेकिन अनुमानित लागत 8 करोड़ रुपये होने के कारण अब इसे हॉर्टिकल्चर विभाग को स्थानांतरित कर दिया गया है। हॉर्टिकल्चर विभाग इस कार्य को मात्र 3.41 करोड़ रुपये में पूरा करेगा, जिससे लागत कम होगी और कार्य समय पर संपन्न होगा।