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Narayan Sarovar Wildlife Sanctuary: नारायण सरोवर वन्यजीव अभयारण्य (Narayan Sarovar Wildlife Sanctuary) गुजरात राज्य के कच्छ जिले में स्थित एक संरक्षित वन क्षेत्र है। यह अभयारण्य अपनी जैव विविधता, रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र, और दुर्लभ प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है। यह पश्चिमी भारत के कुछ प्रमुख वन्यजीव आवासों में से एक है।
Narayan Sarovar Wildlife Sanctuary का परिचय
विशेषता | विवरण |
---|---|
स्थान | कच्छ जिला, गुजरात |
स्थापना वर्ष | 1981 |
कुल क्षेत्रफल | लगभग 444 वर्ग किलोमीटर |
निकटतम शहर | भुज (लगभग 150-160 किमी दूर) |
प्रमुख आकर्षण | चिंकारा, रेगिस्तानी लोमड़ी, वन्य जीवों की विविधता |
यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख वन्यजीव
यह अभयारण्य रेगिस्तानी और शुष्क जंगलों का मिश्रण है, जहाँ अनेक दुर्लभ और स्थानीय प्रजातियाँ पाई जाती हैं:
- चिंकारा (Indian Gazelle) – यह यहाँ की प्रमुख आकर्षण है।
- रेगिस्तानी लोमड़ी (Desert Fox)
- नीलगाय (Blue Bull / Nilgai)
- सियार (Jackal)
- सांभर (Sambar Deer)
- भारतीय खरगोश (Indian Hare)
- जंगली बिल्ली (Jungle Cat)
पक्षियों की विविधता

यह अभयारण्य पक्षी प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग है, खासकर प्रवासी पक्षियों के मौसम में:
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (अब विलुप्तप्राय)
- ईगल्स, बाज़
- बगुले, सारस, बतख आदि
वनस्पति (Flora)
- यहाँ मुख्य रूप से कांटेदार झाड़ियाँ, शुष्क पर्णपाती वृक्ष, और बबूल जैसे पेड़ मिलते हैं।
- इस क्षेत्र की वनस्पति रेगिस्तानी वातावरण के अनुसार ढली हुई है।
पारिस्थितिक महत्व
- यह अभयारण्य रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करता है, जो भारत में दुर्लभ है।
- यह क्षेत्र जलवायु परिवर्तन और मरुस्थलीकरण के अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
यात्रा जानकारी
- निकटतम रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा: भुज
- यात्रा का सर्वोत्तम समय: अक्टूबर से मार्च
- यहाँ गाइडेड टूर और जंगल सफारी की भी व्यवस्था की जाती है।
संरक्षण की चुनौतियाँ

- यह क्षेत्र खनन और मानव बस्तियों के कारण खतरे में रहा है।
- अभयारण्य के कुछ हिस्सों को पूर्व में डी-नोटिफाई (सुरक्षा सूची से हटाना) किया गया था, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ।
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निष्कर्ष: नारायण सरोवर वन्यजीव अभयारण्य
नारायण सरोवर वन्यजीव अभयारण्य गुजरात के कच्छ जिले में स्थित एक अनोखा और जैव विविधता से भरपूर संरक्षित क्षेत्र है। यह न केवल रेगिस्तानी और शुष्क वन्य जीवन का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है, बल्कि चिंकारा, रेगिस्तानी लोमड़ी, और अन्य दुर्लभ प्रजातियों के लिए भी महत्वपूर्ण आश्रय स्थल है। यहाँ का पारिस्थितिक तंत्र, पक्षियों की विविधता और वनस्पति इसे एक आदर्श वन्यजीव पर्यटन स्थल बनाते हैं।
हालाँकि, खनन और मानवीय हस्तक्षेप जैसे खतरे इस अभयारण्य के लिए चुनौती बने हुए हैं। इसलिए इस क्षेत्र के संरक्षण और सतत विकास की नीतियों को मजबूती देना आवश्यक है। यदि इसका संरक्षण सही रूप से किया जाए, तो यह अभयारण्य भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक प्राकृतिक धरोहर के रूप में जीवित रह सकता है।