गामिनी चीता ने कूनो नेशनल पार्क में छह शावकों को जन्म दिया, संरक्षण के लिए बड़ी सफलता

🗓️ Published on: May 5, 2025 1:49 pm
कूनो नेशनल पार्क

कूनो नेशनल पार्क में चीता गामिनी ने छह शावकों को जन्म दिया, जो भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह घटना न केवल कूनो के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।

गामिनी की ऐतिहासिक उपलब्धि

गामिनी, जो दक्षिण अफ्रीका के त्सवालू कालाहारी रिजर्व से लाई गई थीं, छह शावकों को जन्म दिया। यह संख्या चीता प्रजाति के लिए असामान्य है, क्योंकि आमतौर पर मादा चीते चार से पांच शावकों को जन्म देती हैं। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस उपलब्धि को “गामिनी की विरासत का नया अध्याय” करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर शावकों की तस्वीरें और वीडियो साझा करते हुए खुशी जताई।

संरक्षण में मील का पत्थर

इस जन्म के साथ, भारत में जन्मे चीते की संख्या बढ़कर 14 हो गई है, और कूनो नेशनल पार्क में इनकी कुल संख्या 27 तक पहुंच गई है। यह कूनो में चीता संरक्षण परियोजना की चौथी सफल लिटर है, और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते द्वारा पहली लिटर है।

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गामिनी और उनके शावकों का कूनो नेशनल पार्क में स्वागत

गामिनी और उनके चार शावकों को हाल ही में कूनो के खुले जंगल में छोड़ दिया गया। इस कदम से न केवल चीता संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यटकों को भी इन अद्भुत प्राणियों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने का अवसर मिलेगा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस पहल को राज्य के पर्यटन और वन्यजीव संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण बताया।

भारत की वन्यजीव संरक्षण दिशा

कूनो नेशनल पार्क में गामिनी की छह शावकों की सफल जन्म दर भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों की दिशा को उजागर करती है। यह घटना न केवल चीता संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।​

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गामिनी और उनके शावकों की यह यात्रा न केवल कूनो नेशनल पार्क की, बल्कि पूरे भारत की वन्यजीव संरक्षण की सफलता की कहानी है। यह हमें यह याद दिलाती है कि यदि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों और वन्यजीवों का संरक्षण करें, तो हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक समृद्ध और विविध पारिस्थितिकी तंत्र छोड़ सकते हैं।

निष्कर्ष:

गामिनी चीता द्वारा कूनो नेशनल पार्क में छह शावकों को जन्म देना न केवल एक जैव विविधता की दृष्टि से महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों की सफलता का जीवंत प्रमाण भी है। यह घटना यह दर्शाती है कि यदि वैज्ञानिक योजना, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और निरंतर निगरानी को एकजुट किया जाए, तो विलुप्तप्राय प्रजातियों को फिर से जीवित किया जा सकता है। गामिनी और उसके शावक अब न केवल जंगल की शोभा हैं, बल्कि वे भारत के संरक्षण प्रयासों की प्रेरणा भी बन चुके हैं। यह एक नई शुरुआत है—न केवल चीता परियोजना के लिए, बल्कि पूरे देश के वन्यजीव संरक्षण के भविष्य के लिए।

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