भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) एक अद्भुत वन्यजीव अभयारण्य है, जो अपनी समृद्ध जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यह पार्क हाल ही में अफ्रीकी चीता पुनर्स्थापन परियोजना के चलते भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुआ है। यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं और वन्यजीवों के बीच शांति की तलाश कर रहे हैं, तो कूनो राष्ट्रीय उद्यान आपके लिए एक आदर्श गंतव्य है।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास
कूनो राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1981 में “कूनो वन्यजीव अभयारण्य” के रूप में की गई थी। बाद में वर्ष 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया। प्रारंभ में इसका उद्देश्य एशियाई शेरों के लिए एक वैकल्पिक निवास स्थान तैयार करना था। हालांकि अब यह पार्क विभिन्न प्रजातियों के लिए एक सुरक्षित घर बन गया है।
भौगोलिक स्थिति और क्षेत्रफल
- स्थान: श्योपुर और मुरैना जिले, मध्य प्रदेश
- क्षेत्रफल: लगभग 748 वर्ग किलोमीटर
- निकटतम शहर: श्योपुर और ग्वालियर
- निकटतम हवाई अड्डा: ग्वालियर हवाई अड्डा (लगभग 165 किमी)
कूनो नदी इस पार्क का मुख्य जल स्रोत है, जिससे इसका नाम “कूनो” पड़ा है।
वनस्पति और जीव-जंतु
वनस्पति:
कूनो राष्ट्रीय उद्यान मुख्यतः उष्णकटिबंधीय शुष्क पतझड़ी वन क्षेत्र में आता है। यहाँ साल, खैर, बेर, करंज और नीम जैसे पेड़ों की प्रचुरता है।
प्रमुख जीव-जंतु:
- चीता (हाल ही में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए)
- तेन्दुआ
- स्लॉथ भालू (भालू की एक प्रजाति)
- नीलगाय
- चितल और सांभर
- जंगली सूअर
- भारतीय तेंदुआ
- भेड़िया और लकड़बग्घा
इसके अलावा, यहाँ 300 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं, जो इसे पक्षी प्रेमियों के लिए भी स्वर्ग बनाती हैं।
कूनो में चीता परियोजना
कूनो राष्ट्रीय उद्यान को विश्व का पहला चीता पुनर्वास केंद्र बनाने का सपना देखा गया।
17 सितंबर 2022 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफ्रीकी देशों से लाए गए 8 चीतों को कूनो में पुनर्स्थापित किया। इसका उद्देश्य भारत में 70 साल बाद विलुप्त हो चुके चीतों को पुनः बसाना है। इस परियोजना ने कूनो को अंतरराष्ट्रीय पटल पर प्रमुखता दिलाई।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान जाने का सही समय
कूनो घूमने का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और वन्यजीवों को देखना आसान होता है। गर्मियों में यहाँ तापमान काफी बढ़ जाता है और मॉनसून में कई क्षेत्र जलमग्न हो सकते हैं।
प्रवेश शुल्क और सफारी विवरण
विवरण | शुल्क (INR) |
---|---|
भारतीय पर्यटक प्रवेश शुल्क | ₹250 प्रति व्यक्ति |
विदेशी पर्यटक प्रवेश शुल्क | ₹1000 प्रति व्यक्ति |
जीप सफारी शुल्क | लगभग ₹3500 प्रति जीप (6 व्यक्तियों तक) |
गाइड शुल्क | ₹600 (अनिवार्य) |
नोट: शुल्क समय-समय पर बदल सकते हैं, इसलिए आधिकारिक वेबसाइट से नवीनतम जानकारी अवश्य प्राप्त करें।
कैसे पहुँचे कूनो राष्ट्रीय उद्यान
- हवाई मार्ग: ग्वालियर हवाई अड्डा निकटतम है।
- रेल मार्ग: शिवपुरी और ग्वालियर रेलवे स्टेशन से सड़क मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग: श्योपुर, ग्वालियर, शिवपुरी और करौली से नियमित सड़क मार्ग उपलब्ध हैं।
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ठहरने की व्यवस्था
कूनो के पास कुछ सीमित लेकिन सुंदर रिसॉर्ट्स, फॉरेस्ट रेस्ट हाउस और लॉज उपलब्ध हैं। इसके अलावा ग्वालियर या शिवपुरी में भी अच्छे होटल विकल्प मौजूद हैं।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान का भविष्य
कूनो राष्ट्रीय उद्यान आने वाले वर्षों में भारत का एक महत्वपूर्ण “बिग कैट डेस्टिनेशन” बनने की ओर अग्रसर है। यहां के प्रोजेक्ट्स न सिर्फ वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देंगे, बल्कि इको-टूरिज्म के क्षेत्र में भी नई संभावनाएं खोलेंगे।
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निष्कर्ष
कूनो राष्ट्रीय उद्यान सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों की एक प्रेरणादायक कहानी है। यदि आप भी प्रकृति के करीब जाकर उसके चमत्कारों को निहारना चाहते हैं, तो कूनो आपकी अगली यात्रा सूची में अवश्य होना चाहिए।