Gujarat Wildlife Sanctuaries closed from 15 June – हर साल की तरह इस बार भी गुजरात के सभी राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य 15 जून से 15 अक्टूबर 2025 तक पर्यटकों के लिए पूरी तरह बंद रहेंगे। मानसून के दौरान वन क्षेत्र में सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
क्यों बंद रहते हैं अभयारण्य मानसून में?
गुजरात वन विभाग की अधिसूचना के अनुसार, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 के अंतर्गत यह फैसला लिया गया है। मानसून के महीनों में अक्सर जंगलों में अचानक बाढ़, चक्रवात और सड़कों की खराब स्थिति जैसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं। इसके अलावा यह समय पक्षियों, स्तनधारियों, सरीसृपों और अन्य प्रजातियों के प्रजनन का मौसम भी होता है। ऐसे में किसी भी तरह के मानवीय हस्तक्षेप से इन प्रजातियों के जीवन चक्र में बाधा पड़ सकती है।
इसीलिए वन विभाग ने स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि गुजरात के सभी अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान 15 जून से 15 अक्टूबर 2025 तक बंद रहेंगे, और इस दौरान किसी भी प्रकार की ऑनलाइन बुकिंग, चाहे वह निजी हो या सरकारी वेबसाइट पर, मान्य नहीं होगी।
फिर से कब खुलेंगे अभयारण्य?
वन विभाग के मुताबिक, सभी अभयारण्य और नेशनल पार्क 16 अक्टूबर 2025 से दोबारा पर्यटकों के लिए खुल जाएंगे, और तब सामान्य रूप से पर्यटन गतिविधियां शुरू की जा सकेंगी।
गुजरात के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य
नीचे गुजरात के प्रमुख वन्यजीव स्थलों की सूची दी गई है, जो हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं:
स्थल का नाम | ज़िला | विशेषता |
---|---|---|
गिर राष्ट्रीय उद्यान | सासन, जूनागढ़/गिर सोमनाथ | एशियाई शेरों का एकमात्र प्राकृतिक आवास |
वेलावदर ब्लैकबक नेशनल पार्क | भावनगर | काले हिरणों का संरक्षण क्षेत्र |
वांसदा नेशनल पार्क | नवसारी | घना जंगल और विविध वन्यजीव |
मरीन नेशनल पार्क | जामनगर | भारत का पहला समुद्री राष्ट्रीय उद्यान |
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प्रमुख पक्षी और वन्यजीव अभयारण्य
- नल सरोवर पक्षी अभयारण्य (अहमदाबाद-सुरेंद्रनगर) – प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध
- थोल पक्षी अभयारण्य (मेहसाणा) – राजहंस और सारस जैसे पक्षियों के लिए
- घुड़खर अभयारण्य (ध्रांगध्रा) – भारतीय जंगली गधा (Indian Wild Ass) का एकमात्र निवास
- कच्छ वन्यजीव अभयारण्य (सुरखाबनगर) – चिंकारा, भेड़िया, राजहंस
- नारायण सरोवर चिंकारा अभयारण्य (कच्छ) – रेगिस्तानी चिंकारा
- कच्छ घोराड अभयारण्य (कच्छ) – ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी
- बलराम-अंबाजी अभयारण्य (बनासकांठा) – भालू, नीलगाय
- जेसोर भालू अभयारण्य (बनासकांठा) – भालू संरक्षण
- खिजड़िया पक्षी अभयारण्य (जामनगर) – जलपक्षियों की विविधता
- पोरबंदर पक्षी अभयारण्य (पोरबंदर) – सबसे छोटा पक्षी अभयारण्य
- बरदा अभयारण्य (पोरबंदर) – तेंदुआ, नीलगाय
- हिंगोलगढ़ प्रकृति शिक्षा अभयारण्य (राजकोट) – चिंकारा, भेड़िया, शिक्षा केंद्र
- पनिया अभयारण्य (अमरेली) – शेर, चोसिंगा, तेंदुआ
- मितियाला अभयारण्य (अमरेली) – शेर और अन्य वन्यजीव
- गागा अभयारण्य (देवभूमि द्वारका) – ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
- रामपारा अभयारण्य (मोरबी) – चिंकारा, नीलगाय
- शूलपनेश्वर अभयारण्य (नर्मदा) – भालू, तेंदुआ
- जंबुघोड़ा अभयारण्य (पंचमहल) – तेंदुआ, भालू, सियार
- पूर्णा अभयारण्य (डांग) – तेंदुआ, सियार
- रतनमहल भालू अभयारण्य (दाहोद) – भालू और विविध वन्यजीव
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वन विभाग का संदेश पर्यटकों के लिए
पर्यटकों से विशेष अनुरोध किया गया है कि वे इस बंद अवधि में किसी भी वेबसाइट पर अभयारण्यों की बुकिंग न करें और न ही इन स्थलों की यात्रा की योजना बनाएं। मानसून में इन स्थलों का बंद रहना न केवल पर्यटकों की सुरक्षा बल्कि वन्यजीवों की प्राकृतिक जीवनचर्या के संरक्षण के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।
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निष्कर्ष
Gujarat Wildlife Sanctuaries closed from 15 June — यह निर्णय न केवल मानसून के दौरान पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि वन्यजीवों के प्रजनन और प्राकृतिक जीवनचक्र को भी संरक्षित करता है। हर वर्ष की तरह, 15 जून से 15 अक्टूबर तक गुजरात के सभी राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य बंद रहेंगे। पर्यटकों से अपेक्षा की जाती है कि वे इस अवधि में इन स्थलों की यात्रा या बुकिंग से बचें और वन विभाग के निर्देशों का पालन करें। यह एक सराहनीय कदम है जो प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा में अहम भूमिका निभाता है।