Effect of Cleaning on Vultures: इंदौर में सफाई का सीधा असर अब गिद्धों की घटती आबादी में दिखाई दे रहा है। फरवरी 2025 में हुई गिद्धों की गणना में जिले में केवल 27 गिद्ध बचे होने के प्रमाण मिले थे। लेकिन दो महीने बाद, गर्मियों में दोबारा की गई गिनती में इनकी संख्या घटकर मात्र 17 रह गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि शहर के स्वच्छता अभियान ने भले ही इंदौर को सफाई में नंबर 1 बना दिया हो, लेकिन इसका Effect of cleaning on vultures बेहद नकारात्मक रहा है।
Effect of Cleaning on Vultures 6 साल में 300 से घटकर 17 गिद्ध
बीते छह वर्षों में गिद्धों की संख्या में चौंकाने वाली गिरावट आई है। साल 2019 में इंदौर में करीब 300 गिद्ध थे, लेकिन अब उनकी संख्या घटकर सिर्फ 17 रह गई है। यह स्थिति तब है जब मध्यप्रदेश पूरे देश में सबसे ज्यादा गिद्धों वाला राज्य बना हुआ है, जहां कुल 12,981 गिद्ध मौजूद हैं। लेकिन इंदौर जैसे शहर में गिद्ध अब गिनती के ही बचे हैं।
गिद्ध गणना: प्रदेश में बढ़त, इंदौर में गिरावट
पक्षी विशेषज्ञ डॉ. अजय गड़ीकर के अनुसार, मध्यप्रदेश में वन विभाग ने 16 वृत्त, 64 डिवीजन और 9 संरक्षित क्षेत्रों में गिद्धों की गणना की। यह काम वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा किया गया और डाटा संकलन भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में संपन्न हुआ।
“Vulture Conservation” प्रदेश में गिद्धों की संख्या में धीरे-धीरे वृद्धि दर्ज की गई है:
- वर्ष 2019 में गिद्धों की संख्या थी 8,397
- वर्ष 2021 में बढ़कर हुई 9,446
- वर्ष 2024 में आंकड़ा पहुंचा 10,845
लेकिन इंदौर में उल्टी तस्वीर है। वर्ष 2021 में जहां 221 गिद्ध थे, वहीं अब केवल 17 ही शेष हैं।
क्यों घट रही है गिद्धों की संख्या?
गिद्ध स्वाभाविक रूप से मृत जानवरों पर निर्भर रहते हैं। इंदौर के देवगुराड़िया, एयरपोर्ट एरिया और नदी किनारों पर बड़े पैमाने पर सफाई अभियान चलाए गए हैं। साथ ही खाली मैदानों और कचरा डंपिंग साइट्स की भी सफाई की गई है। नतीजतन, गिद्धों के भोजन के स्रोत कम होते गए और उनकी आबादी में गिरावट आने लगी। यही असल में Effect of cleaning on vultures है, जहां सफाई से गिद्धों का प्राकृतिक चक्र बाधित हुआ है।
गिद्ध संरक्षण की जरूरत “Vulture Conservation”
गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे मृत जानवरों को खाकर बीमारियों के फैलाव को रोकते हैं। यदि इनकी संख्या इसी तरह घटती रही, तो पर्यावरणीय संतुलन पर गंभीर असर पड़ सकता है। इसलिए अब जरूरी है कि गिद्ध संरक्षण के लिए विशेष रणनीतियां अपनाई जाएं, ताकि सफाई और जैव विविधता के बीच संतुलन बना रहे।
गिद्ध संरक्षण के सुझाव (Tips for Vulture Conservation)
- फीडिंग ज़ोन विकसित करें
शहर के बाहरी इलाकों में वॉल्चर रेस्टोरेंट्स या फीडिंग ज़ोन बनाए जाएं, जहां गिद्धों के लिए सुरक्षित रूप से मृत पशु छोड़े जा सकें। - जहरीली दवाओं पर रोक
पशुओं के इलाज में उपयोग होने वाली डाइक्लोफेनाक जैसी दवाएं गिद्धों के लिए घातक हैं। इन दवाओं पर सख्त प्रतिबंध लगाया जाए। - प्राकृतिक आवास का संरक्षण
नदी किनारों, जंगलों और खुले मैदानों को संरक्षित किया जाए, ताकि गिद्धों को प्राकृतिक निवास और भोजन मिल सके। - सामुदायिक जागरूकता अभियान
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोगों को गिद्धों के महत्व और उनके संरक्षण के तरीकों के बारे में जागरूक किया जाए। - वन्यजीव गणना को नियमित बनाएं
गिद्धों की संख्या पर निगरानी रखने के लिए हर वर्ष वैज्ञानिक तरीके से गणना करवाई जाए। - सफाई अभियानों में संतुलन रखा जाए
शहरी स्वच्छता के साथ-साथ गिद्धों के भोजन के स्रोतों को भी ध्यान में रखते हुए सफाई कार्य किए जाएं।
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निष्कर्ष
Effect of Cleaning on Vultures इंदौर में सफाई अभियान ने शहर को स्वच्छता में देशभर में अव्वल बना दिया है, लेकिन इसका Effect of cleaning on vultures गंभीर रूप से नकारात्मक रहा है। बीते छह सालों में गिद्धों की संख्या 300 से घटकर मात्र 17 रह गई है। साफ-सफाई के चलते मृत पशु-अवशेषों की उपलब्धता कम हुई, जिससे गिद्धों के भोजन का प्राकृतिक स्रोत समाप्त होने लगा। गिद्ध न केवल पर्यावरण के सफाईकर्मी हैं बल्कि बीमारियों के प्रसार को रोकने में भी उनकी अहम भूमिका है। अब वक्त आ गया है कि सफाई और पारिस्थितिकी तंत्र के बीच संतुलन साधते हुए गिद्धों के संरक्षण “Vulture Conservation” के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।