Bandhavgarh Tiger Reserve: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाल ही में दो जंगली हाथियों को रेडियो कॉलर आईडी पहनाकर जंगल में छोड़ा गया है। यह कदम हाथियों की निगरानी और उनके व्यवहार में आए बदलाव को समझने के लिए उठाया गया है।
Bandhavgarh Tiger Reserve
रेडियो कॉलरिंग की प्रक्रिया: विशेष सावधानी के साथ, लकड़ी के बाड़े में हाथी को ट्रेंकुलाइज किया गया और महावत की सहायता से रेडियो कॉलर आईडी पहनाई गई।

हाथी की पहचान: यह हाथी लगभग 10 वर्ष का नर हाथी है, जिसे पहले 2 नवंबर को देवरा और चंदिया क्षेत्र में तीन लोगों को कुचलने के आरोप में रेस्क्यू किया गया था।
पूर्व की घटना: इससे पहले, 20 नवंबर को भी एक हाथी को रेडियो कॉलर पहनाकर छोड़ा गया था, जिससे उसके व्यवहार में बदलाव पर निगरानी रखी जा रही है।
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रेडियो कॉलरिंग के माध्यम से हाथियों के मूवमेंट और व्यवहार में आए बदलावों की सटीक जानकारी प्राप्त की जाएगी, जिससे वन्यजीव प्रबंधन और संरक्षण में सहायता मिलेगी।
Conclusion:
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में रेडियो कॉलरिंग के माध्यम से हाथियों की निगरानी की यह पहल वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल हाथियों के व्यवहार और मूवमेंट को बेहतर ढंग से समझा जा सकेगा, बल्कि संभावित मानव-वन्यजीव संघर्ष को भी रोका जा सकेगा। पहले रेस्क्यू किए गए और अब कॉलर लगे इन हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखकर वन विभाग भविष्य में और अधिक प्रभावी प्रबंधन रणनीतियाँ तैयार कर सकेगा। यह तकनीकी हस्तक्षेप हाथियों की सुरक्षा के साथ-साथ मानव समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी सहायक सिद्ध होगा।
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