Rattlesnake study 2025: रैटलस्नेक सांपों के जहर पर नई रिसर्च छोटे द्वीपों में ज्यादा जहरीले तत्व | जानिए चौंकाने वाली स्टडी

🗓️ Published on: April 30, 2025 5:36 pm
Rattlesnake study 2025

Rattlesnake study 2025: हाल ही में वैज्ञानिकों ने रैटलस्नेक सांपों पर एक Rattlesnake study 2025 अनोखी स्टडी की है, जिसके नतीजों ने सभी को हैरान कर दिया है। रिसर्च में यह सामने आया है कि रैटलस्नेक का जहर उनके रहने की जगह यानी आवास के हिसाब से अलग-अलग प्रकार का होता है। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने 11 अलग-अलग द्वीपों से 83 रैटलस्नेक के नमूने इकट्ठा कर इनका गहन अध्ययन किया।

छोटे द्वीपों के सांपों में ज्यादा तरह का जहर, बड़े द्वीपों में कम

इस अध्ययन में चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि बड़े द्वीपों के रैटलस्नेक सांपों में जहर के प्रकार सीमित थे, जबकि छोटे द्वीपों के सांपों में जहर की विविधता ज्यादा थी। वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि बड़े द्वीपों में शिकार की अधिकता और विविधता के चलते सांपों में जहर भी ज्यादा तरह के होंगे, लेकिन हुआ इसके ठीक उलट।

सांपों के जहर में छिपे हैं उनके आवास के राज

दक्षिण फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के डॉ. मार्क मार्गरेस और उनके सहयोगी सैमुअल हर्स्ट ने इस रिसर्च का नेतृत्व किया। उन्होंने कैलिफोर्निया खाड़ी के पास के 11 द्वीपों से सैंपल लेकर रैटलस्नेक सांपों के जहर की संरचना और उनके पर्यावरण के बीच के रिश्ते को समझने की कोशिश की।

मानवीय गतिविधियों का असर भी दिखा

Rattlesnake study 2025 में यह भी पता चला कि इंसानों द्वारा बनाए गए शहरों, सड़कों और खेतों ने सांपों के प्राकृतिक आवासों को प्रभावित किया है। इस बदलाव का असर सांपों के जहर में भी दिखता है। यानी जैसे-जैसे सांपों का आवास बिखरता है, वैसे-वैसे उनके जहर में भी परिवर्तन आता है।

Rattlesnake study 2025 सांपों का जहर क्यों बदलता है?

वैज्ञानिकों Rattlesnake study 2025 के अनुसार, सांपों के जहर में बदलाव के पीछे कई कारण होते हैं, जैसे पर्यावरणीय दबाव, शिकार की उपलब्धता और प्रजातियों के बीच प्रतिस्पर्धा। समय के साथ सांप अपने जहर में बदलाव कर खुद को बदलते हालात में ढालते हैं। यही कारण है कि जहर के अध्ययन को सांपों के विकास और इवोल्यूशन के लिहाज से बेहद अहम माना जाता है।

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जहर का इलाज, जहर में ही छिपा है समाधान

आज भी कई सांपों के जहर का कोई पुख्ता इलाज मौजूद नहीं है। लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि इन्हीं जहरों का गहराई से अध्ययन कर उनके तोड़ यानी एंटी-वेनम विकसित किए जा सकते हैं। ‘इवोल्यूशन’ जर्नल में प्रकाशित इस नई स्टडी ने यह साफ कर दिया है कि सांपों के जहर की विविधता को समझने के लिए उनके आवास और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।

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निष्कर्ष:

रैटलस्नेक सांपों पर की गई यह नई Rattlesnake study 2025 रिसर्च बताती है कि उनके जहर की प्रकृति सिर्फ प्रजाति पर नहीं, बल्कि उनके आवास पर भी निर्भर करती है। छोटे द्वीपों में पाए जाने वाले सांपों में जहर की विविधता ज्यादा देखी गई, जबकि बड़े द्वीपों में इसके उलट नतीजे मिले। यह अध्ययन इस दिशा में अहम है कि पर्यावरणीय बदलाव, मानवीय हस्तक्षेप और प्राकृतिक आवास का सीधा असर सांपों की जैविक विशेषताओं पर पड़ता है। वैज्ञानिकों के लिए यह रिसर्च जहर के इलाज और एंटी-वेनम तैयार करने में नई दिशा दिखाती है। साथ ही यह भी साबित करता है कि जानवर समय के साथ अपने माहौल के अनुसार खुद को ढालते हैं।

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