Last updated on May 8th, 2025 at 01:58 pm
बढ़ती बाघ मौतें और संरक्षण की ज़रूरत
SURYATARA:जनवरी से मार्च 2025 के बीच महाराष्ट्र में 23 बाघों की मौत ने वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन मौतों में अवैध शिकार के चार पुष्ट मामले भी सामने आए हैं, जिसने सरकार और संरक्षणवादियों की चिंता बढ़ा दी है।
वन मंत्री गणेश नाइक की सक्रिय भूमिका

राज्य के वन मंत्री गणेश नाइक इस संकट की गंभीरता को समझते हुए नागपुर में तैनात हैं, जहाँ वे वन अधिकारियों के साथ आपातकालीन बैठकों की अध्यक्षता कर रहे हैं। इन बैठकों का उद्देश्य है—वन्यजीव संरक्षण प्रोटोकॉल में खामियों को दूर करना और ज़मीनी स्तर पर बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
महाराष्ट्र में बाघों की आबादी और खतरे

महाराष्ट्र की कुल बाघ आबादी फिलहाल 446 है, जो देश में सबसे ज़्यादा बाघों वाले राज्यों में इसे गिनाता है। चंद्रपुर जिला विशेष रूप से बाघ घनत्व के लिए जाना जाता है। लेकिन हालिया मौतों ने राज्य के संरक्षण ढांचे की प्रभावशीलता पर सवालिया निशान लगा दिया है।
वनतारा: एक प्रेरणास्रोत निजी पहल
क्या है वनतारा?

वनतारा, एक निजी पशु बचाव और पुनर्वास केंद्र है, जिसकी स्थापना उद्योगपति अनंत अंबानी ने गुजरात के जामनगर में की है। यह केंद्र रिलायंस रिफाइनरी परिसर में 3,000 एकड़ में फैला हुआ है और 43 से अधिक प्रजातियों के 2,000 से ज़्यादा जानवरों का घर है।
वनतारा की आधुनिक सुविधाएँ

वनतारा में पशु चिकित्सा ICU, MRI, CT स्कैन जैसी आधुनिक नैदानिक सुविधाएँ मौजूद हैं। साथ ही इसमें भारत का सबसे बड़ा हाथी अस्पताल और पुनर्वास इकाई भी स्थापित की गई है। यह केंद्र संकटग्रस्त पशुओं की देखभाल और पुनर्वास का सफल मॉडल बन चुका है।
SURYATARA: ‘सूर्य तारा’ महाराष्ट्र का अपना वनतारा

प्रेरणा से परियोजना तक
वनतारा की सफलता को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने ‘SURYATARA‘ नामक एक वन्यजीव अभयारण्य की योजना बनाई है। इसे ठाणे क्षेत्र में विकसित किया जाएगा और इसके लिए ज़मीन की पहचान पहले ही की जा चुकी है।
प्रोजेक्ट की विशेषताएँ

‘सूर्य तारा’ योजना का उद्देश्य है—घायल, बीमार और संघर्षग्रस्त वन्यजीवों के लिए विशेष देखभाल की व्यवस्था करना। इसमें बाघ और तेंदुए जैसे बड़े मांसाहारी जानवरों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह पहल भंडारा और चंद्रपुर जैसे उन क्षेत्रों में विशेष मायने रखती है जहाँ मानव-पशु संघर्ष तेजी से बढ़ रहा है।
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वन विभाग की अन्य योजनाएँ
वन विभाग ‘सूर्य तारा’ योजना के साथ-साथ कई अन्य सुधारात्मक कदम उठा रहा है, जैसे:
- फलदार वृक्ष लगाकर बाघों के लिए शिकार की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- क्षरित वन भूमि पर सौर ऊर्जा फार्म स्थापित करना
- वन की लकड़ी से फर्नीचर निर्माण इकाइयाँ शुरू करना
संघर्ष क्षेत्र में नियंत्रण
सरकार ग्रामीण क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाली बाड़ लगाने और अति-संतृप्त क्षेत्रों से बाघों को राज्य के अन्य हिस्सों में स्थानांतरित करने की योजना पर भी काम कर रही है।
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निष्कर्ष: संरक्षण की दिशा में एक नई शुरुआत
हालाँकि चुनौतियाँ अब भी मौजूद हैं—जैसे अंतरराष्ट्रीय लिंक वाले संगठित शिकार गिरोह—लेकिन ‘सूर्य तारा’ जैसी योजनाएँ महाराष्ट्र को एक मज़बूत वन्यजीव संरक्षण मॉडल की ओर ले जा सकती हैं। यदि यह परियोजना सफल होती है, तो यह पूरे भारत के लिए एक मिसाल बन सकती है।