History of Balachadi and Poland : पोलैंड से 20 युवा जामनगर पहुंचे लाखोंठा प्राणी संग्रहालय और बालाचडी सैनिक स्कूल की मुलाकात की ओर ऐतिहासिक धरोहर से हुए प्रभावित, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित जाम साहब मेमोरियल यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम, के तहत पोलैंड के 20 युवा जामनगर आए हैं। यह कार्यक्रम 1927 फरवरी 2025 तक आयोजित किया जा रहा है।
युवा प्रतिनिधियों ने लाखोंठा झील के मध्य स्थित पुरातत्व संग्रहालय का भ्रमण किया। उन्होंने जामनगर के इतिहास और राजसी ठाठ- बाठ के बारे में जानकारी ली। संग्रहालय में पत्थर और धातु की मूर्तियां, तोपे, लघुचित्र, और लकड़ी के ब्लॉक प्रिंट देखे गए। कांच के बर्तन, प्राचीन सिक्के और करेंसी नोट के सांचे भी देखें। विशाल व्हेल मछली का कंकाल और कढ़ाई मनके के काम वाले क्षत्रिय परिधान ने उन्हें आकर्षित किया।
History of Balachadi and Poland : सैनिक स्कूल स्थित शौर्य स्तंभ पर पुष्पांजलि अर्पित की

उन्होंने बालाचडी सैनिक स्कूल स्थित शौर्य स्तंभ पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, जाम राजवी दिग्विजय सिंह ने 800 पोलिस बच्चों को आश्रय दिया था। उन्होंने 1942 से 1946 तक बालाचड़ी में एक शिविर चलाया था। पोलैंड से आए युवा पुरानी तस्वीरों में अपने परिवारों को देखकर भावुक हो गए। इस यात्रा से भारत पोलैंड सांस्कृतिक संबंध और मजबूत होंगे। दोनों देश के लोगों के बीच आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया जाएगा।
आज मैं उसे स्थान की साक्षी बनी हूं जहां मेरे दादाजी को आश्रय दिया गया था पोलैंड की एक युति ने कहा
पोलैंड की एक युवती ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मेरे दादाजी उन बच्चों में से एक थे जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जाम साहब दिग्विजयसिंह जी ने गोद लिया था। वह स्थान जहां मेरे दादाजी को आश्रय दिया गया था। आज मैं उस जगह की साक्षी बन गई हूं। मेरे दादाजी ने अपना बचपन उसी स्थान पर बिताया था मेरे दादाजी हमेशा मुझसे कहते थे कि जामनगर के महाराजा ने हमें जो आश्रय और सुविधाएं दी तथा हमारी जान बचाई उसके लिए मैं सदैव उसका आभारी रहूंगा।
मेरे दादाजी बालाचडी को अपना घर मानते थे पोलैंड से आई भाई बहन ने यह बात बोली
पोलैंड से आए दो भाई बहनों ने बताया कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जामनगर के महाराजा जाम दिग्विजयसिंह जी ने पोलिश बचो को शरण दी थी, जिनमे से एक हमारे दादाजी भी थे। वह हमेशा बालाचाडी को अपना दूसरा घर मानते थे।आज बालाचाडी सैनिक स्कूल में हम दादाजी को उसे समय की तस्वीरों में देख रहे हैं वह स्थान जहां मेरे दादाजी ने अपना बचपन बिताया और वह स्थान जहां उन्होंने एक नया जीवन पाया। हम बालाचड़ी और आसपास के क्षेत्र को देखने का अवसर पाकर जामनगर के महाराजा के आभारी है।
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FAQ
What is the history of Balachadi?
Balachadi is a village in India which became a shelter for 650 Polish children evacuated from the Soviet Union in 1942.
What happened to Polish refugees in India?
Polish refugees and war orphans, evacuated from the Soviet captivity in Siberia, found good friends in India. Maharajah Jam Saheb Digvijayasinhaji of Nawanagar lent sites for two camps; one of them, the Polish Children Camp at Balachadi, housed around 1000 children
Which Indian king is famous in Poland?
In recognition of his extraordinary kindness, Poland honoured Maharaja Digvijaysinhji by naming a square in Warsaw after him, known as the ‘Square of the Good Maharaja’, and also dedicated a school t