हिमाचल की शान: स्पीति घाटी को यूनेस्को बायोस्फीयर रिजर्व बनाने की तैयारी
Spiti Valley Biosphere Reserve: हिमाचल प्रदेश की विख्यात स्पीति घाटी को जल्द ही यूनेस्को के मैन एंड बायोस्फीयर (MAB) कार्यक्रम में शामिल किया जा सकता है। राज्य के वन विभाग ने केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के जरिए यूनेस्को को इसका प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव में स्पीति को एक विशेष शीत मरुस्थल बताया गया है, जहां दुर्लभ बर्फानी तेंदुए (Snow Leopard) का प्राकृतिक वास है।

यूनेस्को की मंजूरी से खुलेगा विकास का अंतरराष्ट्रीय द्वार
अगर यूनेस्को इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है, तो स्पीति घाटी को वैश्विक पहचान मिलेगी। इससे घाटी को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार विकसित किया जा सकेगा। साथ ही, विश्वस्तरीय फंडिंग एजेंसियां इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए आगे आएंगी। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्पीति को अद्वितीय पर्यटन स्थल के रूप में भी नई पहचान मिलेगी।

स्थानीय लोगों को मिलेंगे नए रोजगार अवसर
स्पीति घाटी के यूनेस्को बायोस्फीयर रिजर्व बनने पर स्थानीय समुदायों को भी बड़ा लाभ होगा। पर्यटन और पर्यावरण से जुड़ी गतिविधियों के बढ़ने से यहां रोजगार के नए द्वार खुलेंगे। यह पहल हिमालयी क्षेत्र के लोगों के जीवनस्तर को बेहतर बनाने में मददगार साबित होगी।
भारत में कितने बायोस्फीयर रिजर्व हैं? Spiti Valley Biosphere Reserve
वर्तमान में भारत में करीब 18 बायोस्फीयर रिजर्व मौजूद हैं। इनमें प्रमुख हैं:
- नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व (तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक)
- मन्नार की खाड़ी (तमिलनाडु)
- सुंदरबन (पश्चिम बंगाल)
- नंदा देवी (उत्तराखंड)
- पचमढ़ी (मध्य प्रदेश)
- सिमलिपाल (ओडिशा)
- अचानकमार-अमरकंटक (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़)
- ग्रेट निकोबार (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह)
अगर स्पीति घाटी को मंजूरी मिलती है, तो यह भारत के शीत मरुस्थल में स्थित एक और विशिष्ट बायोस्फीयर रिजर्व बनेगा।
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अधिकारियों की पुष्टि
पर्यावरण विभाग के प्रधान मुख्य अरण्यपाल, अमिताभ गौतम के अनुसार, स्पीति घाटी को यूनेस्को के मैन एंड बायोस्फीयर कार्यक्रम में शामिल करने का प्रस्ताव विचाराधीन है। मंजूरी मिलने के बाद स्पीति घाटी का नाम दुनिया के नक्शे पर एक नई पहचान के साथ उभरेगा।
निष्कर्ष: स्पीति घाटी का भविष्य उज्ज्वल
Spiti Valley का यूनेस्को बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल होना न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय होगा। यह कदम पर्यावरण संरक्षण, पर्यटन विकास और स्थानीय रोजगार के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित हो सकता है।