उत्तर प्रदेश सरकार ने Soor Sarovar Bird Sanctuary (सूर सरोवर पक्षी विहार) के क्षेत्रफल को बढ़ाने के प्रस्ताव पर बड़ी पहल की है। इस संबंध में अधिसूचना की नई टाइमलाइन तय कर दी गई है, जिसके अनुसार सभी आवश्यक प्रक्रियाएं और अंतिम अधिसूचना 1 मई 2026 तक पूरी कर ली जाएंगी। पहले यह प्रक्रिया 2027 तक प्रस्तावित थी, लेकिन अब इसे एक वर्ष पहले ही पूरा करने की योजना है।
यह बदलाव पर्यावरणविद और चिकित्सक डॉ. शरद गुप्ता की याचिका के बाद आया है, जिससे राज्य सरकार ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। अब न सिर्फ पक्षी विहार का क्षेत्र बढ़ेगा, बल्कि पहले तय किया गया ईको सेंसेटिव ज़ोन (Ecologically Sensitive Zone) को शून्य करने का निर्णय भी बदला गया है। वन विभाग के चीफ कंजरवेटर ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) में दाखिल अपने हलफनामे में यह स्पष्ट किया है कि 14.5025 हेक्टेयर भूमि की अधिसूचना के पश्चात ईको सेंसेटिव जोन निर्धारित किया जाएगा। जिला मजिस्ट्रेट (DM) ने 24 अप्रैल को ही इस जमीन के लिए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 21 के अंतर्गत घोषणा कर दी है।
प्रक्रिया में उलझाव और NGT की भूमिका
Soor Sarovar Bird Sanctuary का दायरा बढ़ाने के लिए पहले वन विभाग ने 2027 तक का समय मांगा था। वर्तमान में इस पक्षी विहार का क्षेत्र 403.09 हेक्टेयर है, जिसमें सूर वन ब्लॉक की 380.558 हेक्टेयर भूमि पहले ही जोड़ी जा चुकी है। अब अंतिम चरण में 14.5025 हेक्टेयर जमीन को जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है।
इस देरी पर NGT ने सख्त रुख अपनाया और कहा कि धारा 24 और 25 की कार्रवाई में अनावश्यक देरी न की जाए। इसके बाद वन विभाग के चीफ कंजरवेटर एन. रविंद्र ने NGT में नया हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें सभी प्रक्रियाएं एक वर्ष कम समय में पूरी करने का संकल्प दिया गया है।
अधिसूचना की निर्धारित समयसीमा
समय अवधि | कार्य विवरण |
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1 मई से 7 जुलाई | धारा 19 से 22 की प्रक्रिया |
8 जुलाई से 15 अक्टूबर | धारा 24 और 25 की प्रक्रिया |
16 अक्टूबर से 16 दिसंबर | फील्ड बुक और नक्शा तैयार करना |
17 दिसंबर से 17 जनवरी | प्रस्ताव की समीक्षा |
18 से 31 जनवरी 2026 | उच्च अधिकारियों का अनुमोदन |
1 फरवरी से 1 मई 2026 | धारा 26(A) और अंतिम अधिसूचना |
14 हेक्टेयर भूमि पर नहीं मिला कोई अवैध निर्माण
DM ने 14 हेक्टेयर भूमि से अवैध निर्माण हटाने व रोकने के लिए संयुक्त समिति का गठन किया था। समिति ने 26 अप्रैल को निरीक्षण कर रिपोर्ट दी कि इस भूमि पर कोई भी अवैध निर्माण या निषिद्ध गतिविधियां नहीं पाई गईं।
इस भूमि में शामिल हैं:
- रूनकता में खसरा नंबर 4 और 1 पर 0.949 हेक्टेयर भूमि
- चौमा फरह में 13.486 हेक्टेयर भूमि
- रूनकता में खसरा नंबर 18 पर 0.0675 हेक्टेयर भूमि
इन सभी क्षेत्रों को Sur Sarovar Bird Sanctuary का हिस्सा बनाया जाएगा।
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क्यों जरूरी है सूर सरोवर का विस्तार?
याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि प्रदूषण से जूझ रहे शहर के लिए कीठम का जंगल एक “फेफड़े” की तरह कार्य करेगा। उन्होंने कहा कि 403 हेक्टेयर के स्थान पर 800 हेक्टेयर क्षेत्र को संरक्षित वन घोषित करना आवश्यक था, लेकिन इसमें प्रशासनिक चुनौतियाँ आ रही थीं। इसलिए उन्होंने NGT का रुख किया।
उनके अनुसार, Soor Sarovar Bird Sanctuary का यह विस्तार आने वाली पीढ़ियों के लिए न केवल पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने में मददगार होगा, बल्कि क्षेत्र में जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण को भी एक नया जीवन देगा।
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निष्कर्ष
Soor Sarovar Bird Sanctuary का विस्तार न केवल एक प्रशासनिक निर्णय है, बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन और भावी पीढ़ियों की शुद्ध हवा की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए उठाया गया एक दूरदर्शी कदम है। जंगलों का बढ़ता दायरा शहर के प्रदूषण को कम करने, जैव विविधता को संरक्षित करने और पक्षियों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सरकार, पर्यावरणविदों और न्यायिक संस्थाओं के सामूहिक प्रयास से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सूर सरोवर पक्षी विहार एक समृद्ध और संरक्षित पर्यावरणीय धरोहर के रूप में विकसित हो। यह पहल न केवल उत्तर प्रदेश के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा भी है।