गांवों में तैनात होंगे ‘हाथी मित्र’: Human-Wildlife Conflict को कम करने मध्य प्रदेश सरकार का बड़ा कदम

📝 Last updated on: May 15, 2025 3:24 pm
Human-Wildlife Conflict

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश सरकार ने मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict), विशेष रूप से मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के उद्देश्य से एक अहम फैसला लिया है। मंत्रि-परिषद की बैठक में 47 करोड़ 11 लाख रुपये से अधिक की एक विशेष योजना को मंजूरी दी गई है, जिसका उद्देश्य हाथियों के संरक्षण के साथ-साथ मानव जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

चार वर्षों तक चलेगी विशेष योजना

यह योजना आगामी चार वर्षों तक लागू रहेगी। इसका लक्ष्य न केवल जंगली हाथियों की सुरक्षा और निगरानी को सुदृढ़ करना है, बल्कि उनके आवास स्थलों में सुधार लाकर लंबे समय तक शांति बनाए रखना भी है।

इस योजना के अंतर्गत, उन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों और वन विभाग के कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जहां Human-Wildlife Conflict की घटनाएं अधिक देखने को मिलती हैं। इसके अतिरिक्त, एक विशेष ‘हाथी मित्र दल’ का गठन किया जाएगा जो संकट की स्थिति में स्थानीय स्तर पर आवश्यक सहायता प्रदान करेगा।

गांवों में ‘हाथी मित्रों’ की तैनाती

मंत्रालय में आयोजित मंत्रि-परिषद की बैठक में योजना क्रमांक 9854 को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की गई। इस प्रस्ताव की कुल लागत ₹47 करोड़ 11 लाख 69 हजार तय की गई है। यह पहल प्रदेश में मानव और हाथियों के बीच बढ़ते संघर्ष को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और ठोस कदम माना जा रहा है।

Human-Wildlife Conflict को कम करना है मुख्य उद्देश्य

इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन संवेदनशील क्षेत्रों में मानव और हाथियों के बीच होने वाले टकराव को कम करना है। हाल ही में उमरिया जिले में हुई एक घटना ने इस समस्या की गंभीरता को उजागर किया है।

जंगली हाथियों द्वारा गांवों में प्रवेश कर फसलों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं बढ़ी हैं। इस योजना के अंतर्गत हाथियों की मूवमेंट पर लगातार निगरानी, स्थानीय लोगों को जागरूक करना, और उन्हें संवेदनशील क्षेत्रों में सतर्क रहना सिखाना शामिल है।

बजट आवंटन और व्यय विवरण

अब तक 2023-24 और 2024-25 में इस योजना के तहत 1 करोड़ 52 लाख 54 हजार रुपये खर्च किए जा चुके हैं। सरकार ने आगामी दो वर्षों के लिए बजट को बढ़ाने का निर्णय लिया है:

  • वित्तीय वर्ष 2025-26: ₹20 करोड़
  • वित्तीय वर्ष 2026-27: ₹25 करोड़ 59 लाख 15 हजार

इस तरह योजना की कुल लागत ₹47 करोड़ 11 लाख 69 हजार रुपये हो जाती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार Human-Wildlife Conflict के स्थायी समाधान के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

हाथियों की निगरानी के लिए बनेंगे कंट्रोल रूम

योजना के अंतर्गत उन क्षेत्रों में जहां हाथियों की नियमित आवाजाही होती है, विशेष कंट्रोल रूम स्थापित किए जाएंगे। इन कंट्रोल रूम्स के जरिए हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी, जिससे संभावित संघर्ष की घटनाओं को रोका जा सकेगा।

इस उद्देश्य के लिए ई-आई सर्विलांस सिस्टम भी स्थापित किया जाएगा, जो तकनीकी रूप से निगरानी में सहायक होगा। साथ ही वन्यजीवों के घायल होने की स्थिति में त्वरित बचाव और पुनर्वास की व्यवस्था भी योजना का हिस्सा होगी।

स्थानीय लोगों की भागीदारी होगी अहम

इस योजना में स्थानीय समुदाय की भागीदारी को भी महत्व दिया गया है। ‘हाथी मित्रों’ को विशेष प्रशिक्षण देकर उन्हें संकट की स्थिति में प्रथम उत्तरदाता (First Responder) के रूप में तैयार किया जाएगा।

इससे न केवल ग्रामीणों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि हाथियों को भी बिना नुकसान पहुंचाए सुरक्षित स्थानों की ओर ले जाना संभव हो सकेगा।

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निष्कर्ष

मध्य प्रदेश सरकार की यह विशेष योजना न केवल जंगली हाथियों के संरक्षण की दिशा में एक ठोस पहल है, बल्कि Human-Wildlife Conflict जैसे संवेदनशील मुद्दे को समाधान की ओर ले जाने वाला व्यावहारिक कदम भी है।

सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम राज्य में स्थायी और सामुदायिक स्तर पर वन्यजीव प्रबंधन को सुदृढ़ करने में मदद करेगा।

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