Deer Antlers Disposal India: पुणे के प्रसिद्ध राजीव गांधी प्राणी उद्यान, जिसे आमतौर पर कात्रज चिड़ियाघर कहा जाता है, ने हाल ही में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक अहम और प्रशंसनीय कदम उठाया है। यहां पर 176 हिरणों के प्राकृतिक रूप से गिरे हुए सींगों का कानूनी और पारदर्शी तरीके से निपटान किया गया।
वन्यजीव निपटान नियमों के तहत कार्रवाई
यह निपटान प्रक्रिया वन्यजीव निपटान नियम, 2023 के अंतर्गत 27 मई 2025 को पूरी की गई। यह पहल न केवल प्रशासनिक नियमों के अनुसार थी, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य था – पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना और वन्यजीव अवशेषों के अवैध व्यापार को रोकना।
Deer Antlers Disposal India पारदर्शिता और निगरानी
सींगों का निपटान चिड़ियाघर के संग्रहालय परिसर में किया गया। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी वरिष्ठ वन अधिकारियों द्वारा की गई, जिनमें उप वन संरक्षक तुषार चव्हाण, सहायक वन संरक्षक मंगेश टेटे और वन क्षेत्र अधिकारी सुरेश वरक प्रमुख रूप से शामिल थे।
इसके अतिरिक्त, चिड़ियाघर के निदेशक डॉ. राजकुमार जाधव, मानद वन्यजीव संरक्षक आदित्य परांजपे और नगर निगम के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस कार्य को पूरी पारदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ अंजाम दिया गया।
सींगों का पर्यावरण-अनुकूल निपटान
नष्ट किए गए सींग विभिन्न हिरण प्रजातियों जैसे चीतल, सांभर और भेकर के थे। ये सभी सींग स्वाभाविक रूप से गिरे हुए थे, जिन्हें एकत्रित कर विशेष ज्वलनशील गैस बर्नर की सहायता से नष्ट किया गया। इस प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग और पंचनामा दस्तावेज़ीकरण भी किया गया, जिससे भविष्य में कोई संदेह या भ्रम की स्थिति न रहे।
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क्यों ज़रूरी है इस तरह का निपटान?
वन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, वन्यजीव अवशेषों का कानूनी और पर्यावरण के अनुकूल निपटान आवश्यक है ताकि:
अवैध वन्यजीव व्यापार पर रोक लग सके
पर्यावरणीय संतुलन बना रहे
अन्य संस्थान भी इस दिशा में जागरूक और प्रेरित हो सकें
प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो
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एक प्रेरणादायक उदाहरण
Deer Antlers Disposal India कात्रज चिड़ियाघर द्वारा उठाया गया यह कदम अन्य चिड़ियाघरों और वन्यजीव अभयारण्यों के लिए एक आदर्श उदाहरण है। यह न केवल कानून का पालन करने की मिसाल है, बल्कि यह दर्शाता है कि प्रकृति से मिले संसाधनों के साथ हमें जिम्मेदारी से पेश आना चाहिए।