India COVID-19 cases: की संख्या में एक बार फिर से बढ़ोतरी देखी जा रही है। देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली और कर्नाटक जैसे राज्य प्रमुख हॉटस्पॉट बनकर उभरे हैं। इसी के मद्देनज़र, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की कर्नाटक शाखा ने डॉक्टरों के लिए एक COVID नियंत्रण सलाह जारी की है
केरल में सबसे अधिक सक्रिय केस
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, केरल में COVID-19 के सबसे अधिक सक्रिय मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य में कुल मामलों का 40% से अधिक संक्रमण केवल केरल से आ रहा है। 19 मई के बाद से अब तक 335 नए मामले दर्ज हुए हैं और कुल 430 लोग इस समय संक्रमित हैं। इस दौरान दो कोविड से संबंधित मौतें भी रिपोर्ट हुई हैं।
अन्य प्रभावित राज्य: महाराष्ट्र, दिल्ली और कर्नाटक
केरल के बाद महाराष्ट्र में 210 और दिल्ली में 104 नए मामले सामने आए हैं। इसके अलावा तमिलनाडु और गुजरात में भी हल्की बढ़ोतरी देखी जा रही है। फिलहाल India COVID-19 cases की कुल संख्या 1,010 सक्रिय मामलों तक पहुंच गई है।
तेलंगाना सरकार सतर्क
तेलंगाना में भी अधिकारियों को कोरोना मामलों पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य सरकार लोगों को कोविड से बचाव के उपायों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ डेंगू और चिकनगुनिया जैसे वेक्टर जनित रोगों पर भी नजर रख रही है।
नए ओमिक्रॉन वेरिएंट्स की पुष्टि
भारत में ओमिक्रॉन के दो नए सब-वेरिएंट — NB.1.8.1 और LF.7 — की पहचान हुई है। हालांकि, अभी भी JN.1 वेरिएंट सबसे ज्यादा प्रचलित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इन दोनों नए वेरिएंट्स को “वेरिएंट अंडर मॉनिटरिंग” की श्रेणी में रखा है।
JN.1 वेरिएंट के लक्षण
JN.1 वेरिएंट में सामान्यत: निम्नलिखित लक्षण देखे गए हैं:
भूख में कमी
हल्का बुखार
गले में खराश
नाक बंद होना
सूखी खांसी
सिरदर्द
थकान
पेट की गड़बड़ी और उल्टी
यदि किसी व्यक्ति को 102°F से अधिक बुखार तीन दिनों तक बना रहे, सांस लेने में कठिनाई हो, सीने में दर्द हो या ऑक्सीजन स्तर 94% से नीचे चला जाए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
यह भी पढ़े: Online Registrations for Applications for Veterinary Courses Begin in Tamil Nadu from Today
डॉक्टरों और मरीजों को सलाह
IMA ने डॉक्टरों से सतर्क रहने को कहा है और मरीजों को पेरासिटामोल तथा खांसी की दवा अपने पास रखने की सलाह दी है, ताकि ज़रूरत पड़ने पर प्राथमिक उपचार मिल सके।