Chaitra Navratri 2025: महत्व, तिथि, पूजा विधि और व्रत कथा

Last updated on March 1st, 2025 at 04:57 pm

चैत्र नवरात्रि 2025: महत्व, तिथि, पूजा विधि और व्रत कथा


Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह पर्व देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के लिए मनाया जाता है। इस दौरान भक्तजन माँ दुर्गा की आराधना, व्रत और विशेष पूजा करते हैं। यह नवरात्रि हिन्दू नववर्ष की भी शुरुआत मानी जाती है, जिससे इसका आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व और बढ़ जाता है।

Chaitra Navratri 2025: की तिथियां

चैत्र नवरात्रि 2025 का आरंभ 30 मार्च 2025 (रविवार) से होगा और इसका समापन 7 अप्रैल 2025 (सोमवार) को राम नवमी के दिन होगा।

नौ दिनों का विवरण:

दिनतिथिदेवी स्वरूपतिथि (हिन्दू पंचांग)
130 मार्च 2025माँ शैलपुत्रीप्रतिपदा
231 मार्च 2025माँ ब्रह्मचारिणीद्वितीया
31 अप्रैल 2025माँ चंद्रघंटातृतीया
42 अप्रैल 2025माँ कूष्मांडाचतुर्थी
53 अप्रैल 2025माँ स्कंदमातापंचमी
64 अप्रैल 2025माँ कात्यायनीषष्ठी
75 अप्रैल 2025माँ कालरात्रिसप्तमी
86 अप्रैल 2025माँ महागौरीअष्टमी
97 अप्रैल 2025माँ सिद्धिदात्रीनवमी (राम नवमी)

चैत्र नवरात्रि का महत्व

चैत्र नवरात्रि को वासंतिक नवरात्रि भी कहा जाता है क्योंकि यह बसंत ऋतु में आती है। इस समय प्रकृति में नवजीवन का संचार होता है और दिन व रात की अवधि लगभग समान होती है। धार्मिक दृष्टि से, यह समय देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने, आत्मशुद्धि और साधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

इस पर्व का जुड़ाव भगवान श्रीराम से भी है, क्योंकि चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन राम नवमी मनाई जाती है, जो भगवान श्रीराम के जन्म का पावन दिवस है।

चैत्र नवरात्रि की पूजा विधि

नवरात्रि के दौरान भक्त श्रद्धापूर्वक माँ दुर्गा की पूजा करते हैं। पूजा विधि इस प्रकार है:

कलश स्थापना (घटस्थापना):

प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

नित्य पूजा और मंत्र जाप:

हर दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा करें।

दुर्गा सप्तशती, देवी कवच और देवी महात्म्य का पाठ करें।

सुबह-शाम आरती करें और भोग अर्पित करें।

व्रत एवं नियम:

कुछ लोग पूरे नौ दिन उपवास रखते हैं, जबकि कुछ केवल प्रथम और अष्टमी तिथि को व्रत रखते हैं।

फलाहार, दूध, मेवे और साबूदाने की खिचड़ी खाई जाती है।

लहसुन-प्याज और तामसिक भोजन का त्याग किया जाता है।

कन्या पूजन:

अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराएं।

उन्हें हलवा, पूड़ी, चना और नारियल का प्रसाद दें।

कन्याओं को दक्षिणा और उपहार देकर विदा करें।

चैत्र नवरात्रि व्रत कथा

प्राचीन काल में एक बार राजा सुरथ और एक व्यापारी समाधि को उनके राज्य और परिवार से निकाल दिया गया। वे दुखी होकर वन में भटकने लगे और ऋषि मेधा के आश्रम पहुँचे। ऋषि ने उन्हें देवी दुर्गा की महिमा और नवरात्रि व्रत का महत्व बताया।

राजा सुरथ और समाधि ने पूरे श्रद्धा भाव से नवरात्रि का व्रत किया और माँ दुर्गा की कृपा से उन्हें खोया हुआ राज्य और समृद्धि प्राप्त हुई। इस कथा से यह सीख मिलती है कि जो भी नवरात्रि में माँ दुर्गा की भक्ति करता है, उसे जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता मिलती है।

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चैत्र नवरात्रि के लाभ

आध्यात्मिक शुद्धि: नवरात्रि के दौरान उपवास और पूजा से मन शांत और सात्विक बनता है।

सकारात्मक ऊर्जा: माँ दुर्गा की कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

स्वास्थ्य लाभ: सात्विक भोजन और उपवास से शरीर स्वस्थ रहता है।

सफलता और समृद्धि: माँ दुर्गा की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

निष्कर्ष

चैत्र नवरात्रि केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और शक्ति उपासना का पर्व है। यह पर्व हमें संयम, भक्ति और त्याग का संदेश देता है। यदि सही विधि से पूजा और व्रत किया जाए, तो माँ दुर्गा की कृपा से हर संकट दूर हो सकता है और जीवन में उन्नति प्राप्त होती है।

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FAQ

चैत्र नवरात्रि 2025 का कैलेंडर क्या है?

पहला चैत्र नवरात्रि- 30 मार्च 2025 (मां शैलपुत्री, घटस्थापना)
दूसरा चैत्र नवरात्रि- 31 मार्च 2025 ( मां ब्रह्मचारिणी पूजा)
तीसरा चैत्र नवरात्रि- 1 अप्रैल 2025 (मां चंद्रघंटा पूजा)
चौथा चैत्र नवरात्रि- 2 अप्रैल 2025 (मां कुष्मांडा पूजा)

शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि में क्या अंतर है?

शारदीय नवरात्रि में सात्विक साधना, नृत्य और उत्सव मनाया जाता है जबकि चैत्र नवरात्रि में कठिन साधना और कठिन व्रत का महत्व होता है। 6. शारदीय नवरात्रि को सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति हेतु मनाया जाता है जबकि चैत्र नवरात्रि को आध्‍यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति, सिद्धि, मोक्ष हेतु मनाया जाता है।

नवरात्रि के किस दिन महिषासुर का वध हुआ था?

देवी दुर्गा ने महिषासुर से पूरे 10 दिनों तक युद्ध किया। रूप बदलने वाला राक्षस तेजस्वी और शक्तिशाली देवी के सामने कुछ नहीं कर सका। दसवें दिन , उन्होंने उसका वध कर दिया। नौ दिनों की लड़ाई को आज हम नवरात्रि के रूप में मनाते हैं, और दसवां दिन – जीत का दिन – विजयादशमी है

Disclaimer

इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं इस लेख में विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्य ग्रंथों/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संबंधित जानकारी एकत्रित की गई है। किसी लेख को अंतिम सत्य या दावा न आपत्ति एवं अपने विवेक का उपयोग करने की पेशकश की जाती है। vantara news अंधविश्वास के खिलाफ है।

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