Bandhavgarh: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथियों की बढ़ती संख्या के कारण एलीफेंट सफारी की संभावना भी बढ़ गई है। अब पर्यटक केवल बाघ ही नहीं, बल्कि जंगली हाथियों को भी करीब से देखने का आनंद ले रहे हैं। इन हाथियों ने पर्यावरण के साथ सहजता से घुल-मिल जाना शुरू कर दिया है और अब वे पर्यटकों की गाड़ियों को देखकर उग्र प्रतिक्रिया नहीं देते।
Bandhavgarh: पर्यटकों के लिए रोमांचक अनुभव

बाघों को देखने के लिए प्रसिद्ध Bandhavgarh टाइगर रिजर्व में अब जंगली हाथी भी रोमांच का नया स्रोत बन गए हैं। अब तक यह रोमांच देश के दक्षिणी हिस्सों में ही देखने को मिलता था, लेकिन अब मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित इस रिजर्व में भी इसकी झलक मिलने लगी है।
2018 में आए हाथियों का अब स्थायी निवास
वर्ष 2018 में इस जंगल में प्रवेश करने वाले जंगली हाथी अब यहां के माहौल में पूरी तरह रच-बस गए हैं। पहले ये हाथी पर्यटकों के वाहनों पर आक्रामक हो जाते थे, लेकिन अब वे सहजता से अपने स्वाभाविक व्यवहार में लगे रहते हैं और किसी भी प्रकार का खतरा उत्पन्न नहीं करते।
रिजर्व के विभिन्न हिस्सों में दिख रहे हाथी
अब Bandhavgarh टाइगर रिजर्व के लगभग सभी हिस्सों में जंगली हाथी दिखाई देने लगे हैं। छोटे-छोटे झुंडों में बंटे ये हाथी कभी अकेले तो कभी समूह में घूमते नजर आते हैं। खितौली, मगधी और ताला जोन में छोटे झुंडों में हाथी देखे जा सकते हैं, जबकि पनपथा और पतौर में इनकी संख्या अपेक्षाकृत अधिक है। पिछले सप्ताह ही खितौली और ताला में पर्यटकों ने हाथियों को करीब से देखा और इस अनुभव से रोमांचित हो उठे।
80 के करीब पहुंची हाथियों की संख्या
Bandhavgarh में वर्तमान में जंगली हाथियों की संख्या लगभग 80 तक पहुंच चुकी है। यह एक महत्वपूर्ण आंकड़ा है, क्योंकि वर्ष 2018 में जब ये हाथी यहां आए थे, तब वे पर्यटकों के लिए खतरा बन गए थे। वर्ष 2019 से 2022 के बीच खितौली और ताला क्षेत्रों में कई महीनों तक पर्यटन गतिविधियों को रोकना पड़ा था। इसका मुख्य कारण यह था कि हाथियों ने कई बार पर्यटकों के वाहनों का पीछा किया, जिससे पार्क प्रबंधन को सुरक्षा के लिहाज से कड़े कदम उठाने पड़े।
पर्यटकों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान
रिजर्व में हाथियों की उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए जिप्सी चालकों और गाइड को विशेष रूप से सतर्क रहने की हिदायत दी गई है। बांधवगढ़ के डिप्टी डायरेक्टर पी.के. वर्मा ने बताया कि सभी गाइड और जिप्सी चालक यह सुनिश्चित करें कि वे हाथियों से उचित दूरी बनाए रखें, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
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प्रोजेक्ट एलीफेंट की आवश्यकता
जिस प्रकार से देश में बाघों के संरक्षण के लिए ‘Project Tiger’ चलाया जाता है, उसी तरह मध्य प्रदेश में लंबे समय से ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’ की मांग की जा रही है। यदि यह प्रोजेक्ट लागू होता है, तो न केवल हाथियों का संरक्षण और संवर्धन बेहतर होगा, बल्कि इससे पर्यटकों की रुचि भी बढ़ेगी।
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Bandhavgarh टाइगर रिजर्व अब सिर्फ बाघों के लिए ही नहीं, बल्कि जंगली हाथियों के लिए भी चर्चित होता जा रहा है। यदि एलीफेंट सफारी को आधिकारिक रूप से मंजूरी मिलती है, तो यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए और भी आकर्षक बन सकता है।