एक ऐतिहासिक पहल की ओर कदम
मध्य प्रदेश के सागर टाइगर रिजर्व, जिसे अब वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नाम से जाना जाता है, बहुत जल्द देश का पहला ऐसा अभयारण्य बनने जा रहा है जहाँ बाघ, तेंदुआ और चीता एक साथ प्राकृतिक वातावरण में विचरण करते नजर आएंगे। यह ऐतिहासिक पहल भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की वर्षों पुरानी योजना का परिणाम है, जो अब साकार रूप ले रही है।
WII ने 2010 में ही कर लिया था चयन
भारतीय वन्यजीव संस्थान ने वर्ष 2010 में ही सागर टाइगर रिजर्व को चीता पुनर्स्थापन के लिए उपयुक्त स्थल माना था। संस्थान ने मुहली, सिंहपुर और झापन रेंज का सर्वेक्षण किया था, जहाँ खुले मैदान, उपयुक्त जलवायु और पर्याप्त शिकार उपलब्ध हैं। इन क्षेत्रों को चीता के प्राकृतिक जीवन के लिए आदर्श माना गया।
बिग कैट फैमिली की एक छत के नीचे बसाहट
फिलहाल, सागर टाइगर रिजर्व में बाघ और तेंदुए पहले से ही पाए जाते हैं। आने वाले समय में जब अफ्रीकी चीते यहाँ स्थानांतरित किए जाएंगे, तो यह देश का पहला रिजर्व बन जाएगा जहाँ एक साथ बाघ, तेंदुए और चीते रहेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार तीनों शिकारी प्रजातियों के शिकार करने के तरीके और शिकार की प्राथमिकता भिन्न होती है, जिससे उनके आपसी संघर्ष की संभावना बेहद कम है।
वन्य जीवों के शिकार पैटर्न में अंतर
- बाघ बड़े जानवरों जैसे नीलगाय, जंगली भैंसे और हिरणों का शिकार करता है।
- तेंदुआ मध्यम आकार के जानवरों जैसे जंगली सूअर और छोटे हिरणों को निशाना बनाता है।
- चीता तेज गति से दौड़ने वाले छोटे हिरण, चीतल, काले हिरण और खरगोश जैसे जीवों का शिकार करता है।
इस भिन्नता के कारण विशेषज्ञ मानते हैं कि तीनों प्रजातियाँ एक साथ सह-अस्तित्व में रह सकती हैं।
चीतों के लिए उपयुक्त प्राकृतिक वातावरण
सागर टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल लगभग 2339 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से लगभग 600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल तीन रेंज – मुहली, झापन और सिंहपुर – में फैला हुआ है। यहाँ का भू-आकृतिक स्वरूप चीता जैसे तीव्रगामी शिकारी के लिए आदर्श माना गया है। लंबे-चौड़े मैदान और खुला क्षेत्र चीता की जीवनशैली के लिए अनुकूल है।
गांवों का विस्थापन और बजट प्रावधान
इस महत्वाकांक्षी परियोजना की सफलता के लिए रिजर्व के भीतर बसे कुछ गांवों को विस्थापित करना आवश्यक होगा। विशेष रूप से मुहली गाँव, जिसकी आबादी लगभग 1500 है, इसके साथ-साथ झापन और सिंहपुर रेंज में भी कुछ गांव आते हैं। इसके लिए राज्य सरकार को लगभग ₹200 करोड़ का बजट निर्धारित करना होगा।
अफ्रीकी चीतों की होगी पुनर्बसाहट
चीतों की संख्या बढ़ाने और भारत में उनके संरक्षण के लिए नामीबिया, बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाने की योजना बनाई जा रही है। यह कार्य दक्षिण अफ्रीका के Cheetah Meta-Population Project के सहयोग से किया जाएगा। इस पहल के तहत पहले भी मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों को बसाया गया है।
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निष्कर्ष
सागर टाइगर रिजर्व सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। यहाँ बाघ, तेंदुआ और चीते का सह-अस्तित्व वन्यजीव पर्यटन, जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन को नया आयाम देगा। यह पहल न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बल्कि वैश्विक वन्यजीव प्रबंधन की दृष्टि से भी एक अद्वितीय प्रयोग होगी।