जिम्बाब्वे में 50 हाथियों को मारने का फरमान: मांस होगा घर-घर वितरित, दांत सरकार के पास

🗓️ Published on: June 6, 2025 4:46 pm
जिम्बाब्वे में 50 हाथियों को मारने का फरमान

जिम्बाब्वे में 50 हाथियों को मारने का फरमान:जिम्बाब्वे में हाथियों की हत्या का ताजा फरमान न सिर्फ दुनिया भर के पर्यावरण प्रेमियों को चौंका रहा है, बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण के वैश्विक प्रयासों पर भी सवाल खड़े कर रहा है। अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे के सेव वैली कंजर्वेंसी क्षेत्र में सरकार ने 50 हाथियों को मारने की इजाजत दी है। इन हाथियों का मांस स्थानीय लोगों में बाँटा जाएगा, जबकि उनके दांत सरकार के पास जमा कराए जाएंगे।

जिम्बाब्वे में 50 हाथियों को मारने का फरमान

क्यों लिया गया हाथियों को मारने का फैसला?

यह निर्णय जिम्बाब्वे के वन विभाग द्वारा एक वन्यजीव प्रबंधन योजना के तहत लिया गया है। दरअसल, सेव वैली कंजर्वेंसी—a निजी संरक्षित क्षेत्र— में हाथियों की संख्या पारिस्थितिक संतुलन से कहीं अधिक हो गई है। यहां लगभग 2,550 हाथी मौजूद हैं, जबकि इस क्षेत्र की पारिस्थितिक वहन क्षमता महज 800 हाथियों की है

अधिकारियों के अनुसार, इस बढ़ती संख्या के कारण पेड़-पौधों का विनाश हो रहा है, बायोडायवर्सिटी पर दबाव बढ़ रहा है, और मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। हाथी जब भोजन और पानी की तलाश में गांवों की ओर रुख करते हैं, तो खेत उजाड़ देते हैं और कभी-कभी जानमाल को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

मारे गए हाथियों का क्या होगा?

सरकार के आदेश के अनुसार, चयनित 50 हाथियों को वैज्ञानिक निगरानी में मारा जाएगा। इस प्रक्रिया को “क्लिनिकल कूलिंग” या “जनसंख्या नियंत्रण” के तौर पर देखा जा रहा है। मारे गए हाथियों का मांस स्थानीय समुदायों में बाँटा जाएगा, जिसे सरकार ‘पोषण सपोर्ट’ के रूप में प्रस्तुत कर रही है।

वहीं, हाथियों के दांत (ivory) सरकार को सौंपे जाएंगे और किसी भी प्रकार की अवैध बिक्री नहीं होगी। अधिकारियों का कहना है कि इन दांतों को संरक्षित किया जाएगा और अवैध शिकार और तस्करी को रोकने के लिए इन पर निगरानी रखी जाएगी।

दुनिया भर में उठ रही आलोचना

यह फैसला सामने आते ही पर्यावरण प्रेमियों और पशु अधिकार संगठनों की तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। जिम्बाब्वे सरकार भले इसे पारिस्थितिक संतुलन का ज़रूरी कदम बता रही हो, लेकिन पशु प्रेमियों के लिए यह बेहद अमानवीय और क्रूर निर्णय है।

कुछ संगठनों ने सुझाव दिया कि सरकार को हाथियों को किसी अन्य संरक्षित क्षेत्र में स्थानांतरित करने या प्राकृतिक प्रजनन नियंत्रण तकनीक का सहारा लेना चाहिए था, बजाय उन्हें मारने के।

अफ्रीका में वन्यजीव प्रबंधन की जटिलता

यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि अफ्रीका में वन्यजीव संरक्षण वास्तव में कितना जटिल है। जहां एक ओर वैश्विक समुदाय विलुप्त हो रहे जानवरों को बचाने के प्रयास कर रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ देश स्थानीय आवश्यकताओं और पारिस्थितिक दबावों के चलते कठोर निर्णय लेने को मजबूर हो जाते हैं।

जिम्बाब्वे हाथी हत्या योजना की मुख्य जानकारी

बिंदुविवरण
स्थानसेव वैली कंजर्वेंसी, जिम्बाब्वे
कुल हाथियों की संख्यालगभग 2,550 हाथी (क्षमता: 800)
कुल मारे जाएंगे50 हाथी
कारणहाथियों की अधिक जनसंख्या, पारिस्थितिक असंतुलन, मानव-वन्यजीव संघर्ष
बाद में उपयोगमांस स्थानीय लोगों में वितरित, दांत सरकार को सौंपे जाएंगे
प्रशासनिक संस्थाजिम्बाब्वे पार्क्स एंड वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट अथॉरिटी (Zimparks)

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निष्कर्ष

जिम्बाब्वे में हाथियों को मारने का फैसला पर्यावरणीय और नैतिक दोनों ही दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील विषय है। सरकार इसे एक व्यावहारिक समाधान मान रही है, लेकिन दुनिया के लिए यह एक चेतावनी है कि यदि वन्यजीव संरक्षण और मानव जीवन के बीच संतुलन नहीं बना, तो ऐसे कठोर कदम आगे भी देखने को मिल सकते हैं। अब समय आ गया है कि स्थायी और मानवीय विकल्पों को प्राथमिकता दी जाए, ताकि न केवल जानवरों की रक्षा हो, बल्कि इंसान और प्रकृति के बीच का रिश्ता भी मजबूत बना रहे।

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