चंद्रपुर टाइगर रिजर्व में बाघ का कहर: आठ दिन में आठ लोगों की मौत

🗓️ Published on: May 19, 2025 3:38 pm
चंद्रपुर टाइगर रिजर्व में बाघ का कहर

चंद्रपुर टाइगर रिजर्व में बाघ का कहर: महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में स्थित ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (TATR) के आसपास के इलाकों में बाघों के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बीते आठ दिनों में आठ लोगों की जान जा चुकी है, जिससे स्थानीय ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।

चंद्रपुर टाइगर रिजर्व में बाघ का कहर: ताजा हमले की जानकारी

18 मई 2025 को वधोना गांव के निवासी 64 वर्षीय मारोती शेंडे जंगल में तेंदू पत्ते इकट्ठा करने गए थे। तलोधी वन क्षेत्र में अचानक एक बाघ ने उन पर हमला कर दिया। ग्रामीणों ने उन्हें सिंदेवाही अस्पताल पहुँचाया, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

17 मई को एक और घटना में शिवपुर-चेक गांव के रुशी पेंडोर जंगल में लापता हो गए थे। उनका शव बफर जोन में मिला, जिससे बाघ के हमले की पुष्टि हुई।

एक ही दिन तीन महिलाओं की मौत

11 मई को इतिहास की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। मेंढा-माल गांव में एक ही बाघ ने तीन महिलाओं—कांताबाई चौधरी (55), शुभांगी चौधरी (30) और सारिका शेंडे (50)—को एक ही हमले में मार डाला। यह भारत में पहली बार हुआ, जब एक बाघ ने एक साथ तीन लोगों की जान ली।

अन्य जानलेवा हमले

  • 15 मई को 54 वर्षीय कचाराबाई भरदे भी बाघ का शिकार बनीं जब वे जंगल में पत्ते बीनने गई थीं।
  • इन घटनाओं ने ग्रामीणों में रोष फैला दिया है। कई स्थानों पर प्रदर्शन हुए और वन विभाग से सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की मांग की गई।

वन विभाग की कार्रवाई

  • बाघिन T-81 को पकड़ा गया और उसे नागपुर के गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर में भेजा गया।
  • उसके तीन शावकों में से एक को पकड़ लिया गया, जबकि दो की तलाश जारी है।
  • वन विभाग ने कैमरा ट्रैप, ड्रोन निगरानी, और 24 घंटे गश्त की व्यवस्था शुरू की है।
  • ग्रामीणों को जंगल में अकेले न जाने की सलाह दी गई है।

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बढ़ता मानव-वन्यजीव संघर्ष

इन घटनाओं ने मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते टकराव को उजागर किया है। चंद्रपुर जैसे इलाके जहां बाघों की संख्या अधिक है, वहां जनसंख्या और जंगलों के बीच सीमाएं धुंधली होती जा रही हैं, जिससे ऐसे हादसे बढ़ते जा रहे हैं।

निष्कर्ष

चंद्रपुर टाइगर रिजर्व में बाघों का आतंक एक गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दा बन गया है। समय रहते सुरक्षा उपाय, जागरूकता और वन्यजीव प्रबंधन की योजना बनाई जाए, तभी इस संकट पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

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