गुजरात में तेंदुओं की बढ़ती संख्या: गुजरात में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों ने एक ओर जहां सफलता की नई कहानी लिखी है, वहीं दूसरी ओर तेंदुओं की बढ़ती संख्या अब इंसानी आबादी के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। खासतौर पर जूनागढ़, गिर सोमनाथ और भरूच जैसे जिलों में तेंदुओं की जनसंख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है, जिससे ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में मानव-वन्यजीव संघर्ष लगातार बढ़ रहा है।
गुजरात में तेंदुओं की बढ़ती संख्या में चिंताजनक वृद्धि
गुजरात के विभिन्न जिलों में पिछले कुछ वर्षों में गुजरात में तेंदुओं की बढ़ती संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ये आंकड़े न केवल वन्यजीव विशेषज्ञों को चौंका रहे हैं, बल्कि आम लोगों के जीवन को भी प्रभावित कर रहे हैं। राज्य के कुछ जिलों में तेंदुओं की अनुमानित संख्या इस प्रकार है:
जिला | तेंदुओं की संख्या |
---|---|
जूनागढ़ | 578 |
भरूच | 105 |
सूरत | 104 |
पंचमहल | 119 |
छोटा उदेपुर | 111 |
नवसारी | 78 |
डांग | 74 |
नर्मदा | 66 |
तापी | 62 |
गिर सोमनाथ | 62 |
बनासकांठा | 55 |
साबरकांठा | 41 |
वलसाड | 29 |
महासागर | 30 |
अरावली | 24 |
जूनागढ़ में तेंदुओं की सबसे ज्यादा आबादी दर्ज की गई है, जहां अकेले 578 तेंदुए हैं। इसके अलावा पंचमहल, छोटा उदेपुर और भरूच भी ऐसे जिले हैं जहां इनकी संख्या 100 के पार पहुंच चुकी है।
मानव-वन्यजीव संघर्ष में वृद्धि

तेंदुओं की आबादी बढ़ने का सीधा असर गांवों और आदिवासी क्षेत्रों में देखने को मिला है। लोग अपने खेतों और घरों के आसपास तेंदुओं को देख रहे हैं, जिससे दहशत का माहौल बना हुआ है। पिछले पांच वर्षों में तेंदुओं के हमलों में 65 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इसके अलावा मवेशियों पर हमले, डर की वजह से स्कूल बंद होना और खेती-बाड़ी में रुकावट जैसी समस्याएं आम हो चुकी हैं।
सरकारी प्रयास और चुनौतियाँ
गुजरात वन विभाग ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है और केंद्र सरकार को तेंदुओं की आबादी नियंत्रण हेतु प्रस्ताव भी भेजा था। हालांकि, पाँच साल बीत जाने के बावजूद अब तक तेंदुओं को हटाने या नियंत्रित करने के लिए अनुमति नहीं मिल सकी है।
वन विभाग की कोशिश है कि तेंदुओं को पुनर्वासित किया जाए या आबादी को कुदरती ढंग से नियंत्रित किया जाए, लेकिन बिना केंद्र की अनुमति के ठोस कदम उठाना मुश्किल है।
यह भी पढ़े: मिथुन: पूर्वोत्तर भारत की वो पवित्र गाय, जो आज संकट में है
समाधान की दिशा में संभावित कदम
- मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन: उन इलाकों में निगरानी कैमरे, वन रक्षक दल और त्वरित प्रतिक्रिया टीम लगाई जा सकती है जहां हमलों की संभावना ज्यादा हो।
- जागरूकता अभियान: ग्रामीणों को तेंदुओं के व्यवहार, बचाव के उपाय और रिपोर्टिंग सिस्टम की जानकारी दी जानी चाहिए।
- वन्यजीव पुनर्वास योजना: अत्यधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों से तेंदुओं को संरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जा सकता है।
- वैज्ञानिक अध्ययन: तेंदुओं के प्रजनन, आवास और व्यवहार पर गहन शोध के आधार पर दीर्घकालिक नीति बनाई जा सकती है।
निष्कर्ष
गुजरात में तेंदुओं की बढ़ती संख्या वन्यजीव संरक्षण की सफलता को दर्शाती है, लेकिन यह सफलता अब ग्रामीण जीवन के लिए चुनौती बनती जा रही है। आवश्यकता है कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर ऐसे ठोस कदम उठाएं जिससे इंसानों और वन्यजीवों के बीच संतुलन बना रहे। अगर समय रहते प्रभावी समाधान नहीं निकाले गए, तो यह समस्या और गंभीर रूप ले सकती है।